बाक्स – १०वीं व १२वीं में भी छात्राओं का परचम महाविद्यालयों में छात्राओं की संख्या अधिक होने के मामले में कुछ विद्वानों का मत है कि १०वीं व १२वीं के बाद छात्र प्रायवेट नौकरी या काम धंधा करने लगते हैं। इसकी वजह से वे महाविद्यालय नहीं पहुंच पाते। उनके मत पर जिले के १०वीं व १२वीं के २०२३-२४ के परिणाम भारी पड़ रहे हैं। इस आकड़े पर गौर करें तो १०वीं में सात ७८० छात्राएं और पांच हजार ७४६ छात्र पास हुए। १२वीं में छह हजार ५२५ छात्राएं और चार हजार ५२१ छात्र पास हुए। १०वीं में २०३४ व १२वीं में दो हजार चार छात्राओं ने छात्र संख्या से अधिक सफलता हासिल की है। इससे साबित होता है कि जिले में छात्र से अधिक छात्राएं शिक्षा की ओर अग्रसर है।
वर्जन – एक – फोटो कुलगुरु विवि छिंदवाड़ा। यह शानदार तस्वीर है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की बेटियां घर से बाहर निकलकर उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही है। यह काफी सुखद है। उनके अंदर शिक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ी है। यह नई शिक्षा नीति व सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का असर है। करीब एक दशक पूर्व इनकी संख्या में वृद्धि होने की शुरुआत हुई थी, जो वर्तमान में इस स्तर पर पहुंची है। – प्रो. इंद्र प्रसाद त्रिपाठी, कुलगुरु आरएसएस विवि छिंदवाड़ा
वर्जन – दो, फोटो कलेक्टर बालाघाट। जिले के युवाओं में शिक्षा को लेकर खास रूचि है। शिक्षा के प्रति उनका प्रदर्शन प्रदेश के अग्रणी जिलों में शामिल है। यह आकड़े काफी उत्साहित व प्रोत्साहित करने वाले हैं। छात्राओं में बेहतर जीवन के लिए शिक्षा को लेकर जो जज्बा है। वह जिले के लिए बहुत ही बेहतर है। इसको प्रशासन व उच्च शिक्षा विभाग की स्कीम के माध्यम से हम आगे जारी रखने का प्रयास करेंगे। – मृणाल मीना, कलेक्टर बालाघाट