बालाघाट

इस चुनाव से पहले भी नहीं मिली सड़क, बिजली, पानी, आजादी के इतने साल बाद भी MP में ऐसा हाल

दक्षिण बैहर के दूरस्थ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आवागमन की भी सुविधा नहीं है, जिसके कारण ग्रामीणों को परेशान होना पड़ रहा है…

बालाघाटOct 11, 2023 / 12:37 pm

Sanjana Kumar

बैहर विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव 2023 में फिर एक बार रोजगार, बिजली, सडक़, स्वास्थ्य, शिक्षा का मुद्दा छाया रहेगा। दक्षिण बैहर और गढ़ी क्षेत्र में वर्षों से बनी इस समस्या का निराकरण नहीं हो पाया है। दक्षिण बैहर के दूरस्थ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आवागमन की भी सुविधा नहीं है, जिसके कारण ग्रामीणों को परेशान होना पड़ रहा है।

जानकारी के अनुसार बैहर विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है। पूरे विधानसभा क्षेत्र की आबादी करीब 352013 है। इसमें से अधिकांश आबादी ग्रामीण व जंगलों के बीच बसी हुई है। जंगलों के बीच बसे हुए ग्रामीणों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। इस क्षेत्र में नक्सल समस्या सबसे बड़ी समस्या के रूप में है। इसके अलावा यहां बिजली, नेटवर्किंग, रोजगार की समस्या भी मुंह फाड़े खड़ी है। ग्रामीणों को भुगतान लेने के लिए या तो उकवा या फिर बिरसा जाना पड़ता है। ग्रामीण जोहर सिंह, कुंवर सिंह, चैतराम सहित अन्य ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में समस्याएं अनेक है, लेकिन शिकायत के बाद भी उसका निराकरण नहीं हो पा रहा है। ग्राम पंचायत दडक़सा के अंतर्गत 12 ग्राम आते हैं। जिसमें भटवार लेंडी, बिलालकसा, बोकरकट्टा, चुहीडोडा, दडक़सा, दरेझरी, कुबेर, कुमा, मुंडा, पित्तकोना, सोधनडोंगरी और तल्लाबोडी शामिल है। ये पूरे ग्राम अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र में है। यहां आज भी बिजली, पानी, सडक़ की समस्या बनी हुई है।

बैहर विधानसभा क्षेत्र में मतदाता

बैहर विधानसभा क्षेत्र में कुल 231207 मतदाता है। जिसमें 113105 पुरुष और 118100 महिला मतदाता शामिल है। इसमें 1510 मतदाता 80 से 89 वर्ष, 208 मतदाता 90 से 99 वर्ष, 10 मतदाता 100 से 109 वर्ष और 120 उम्र की एक महिला मतदाता शामिल है। वहीं 18 से 19 उम्र के 9416 मतदाता शामिल है।

 

नहीं मिलता रोजगार

ग्रामीण सुखदेव सिंह, मेहर सिंह धुर्वे, मंगल सिंह, जेठू सिंह ने क्षेत्र के अधिकांश गांव जंगलों के बीच बसे हुए है। आदिवासी और वनांचल होने के कारण यहां के ग्रामीणों को रोजगार नहीं मिल पाता है। बैगा आदिवासियों के पास वनोपज ही मुख्य आय का स्रोत है। इसके अलावा ग्रामीण रोजगार की तलाश में महानगरों की ओर पलायन करते हैं।

किसी ने गंभीरता से नहीं लिया

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में वर्षों से बनी समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाया है। बिजली, पानी, रोजगार की समस्याएं बनी हुई है। अनेक बार मांग की गई लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। हर बार चुनाव में समस्याओं के निराकरण का आश्वासन मिलता है। लेकिन चुनाव बाद इस ओर कोई ध्यान नहीं देता।

– चंदन उइके, पूर्व सरपंच, ग्रापं दड़ेकसा

 

राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखा नहीं

क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या है। राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखा नहीं है। ग्रामीणों को पैसे निकालने काफी संघर्ष करना पड़ता है। समस्या के निराकरण के लिए अनेक बार मांग की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं भी समय पर नहीं मिल पाती है। शिक्षा का स्तर भी काफी कमजोर है।

चैनसिंह पुसाम, सरपंच, ग्रापं धुनधुनवार्धा

 

रोजगार की समस्या है

क्षेत्र में रोजगार की समस्या है। ग्रामीण प्रतिवर्ष रोजगार की तलाश में पलायन कर जाते हैं। वनोपज के सहारे आदिवासी अपनी जीविका चलाते हैं। दूरस्थ अंचलों में नक्सल समस्या बनी हुई है। आवागमन के साधन नगण्य है। सडक़ों का निर्माण कार्य अधूरा है। ग्रामीण काफी परेशान है।

– तातू सिंह धुर्वे, पूर्व सरपंच, ग्रापं सोनगुड्डा

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