कलेक्टर ने खेत पहुंचकर देखी मखाना की खेती
बालाघाट. कृषि विज्ञान केन्द्र बडग़ांव बालाघाट द्वारा जिले के किसानों की आय में वृद्धि के लिए किए जा रहे अभिनव प्रयासों के अंतर्गत जिले में अधिक मूल्य देने वाली फसल मखाना की खेती का प्रायोगिक परीक्षण किसानों के खेतों पर किया जा रहा हैं। चयनित कृषकों में से एक कृषक अरविन्द गाड़ेश्वर ग्राम बोट्टे विकासखंड लालबर्रा के खेत में बिहार की फसल मखाना कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा लगाई गई हैं। इस फसल को देखने जिले के कलेक्टर दीपक आर्य और नवागत आइएएस एसडीएम बैहर तन्मेय वशिष्ट शर्मा गुरुवार को बोट्टे पहुंचे। जहां पर कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के साथ उपसंचालक कृषि विभागीय अधिकारी एक कृषक उपस्थित थे।
कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. आरएल राउत ने कलेक्टर आर्य को बताया कि मखाना एक जलीय फसल हैं जो कि 1-2 फीट पानी में उगाई जा सकती हैं। धान के खेतों में इसकी तैयारी कर इसका रोपण किया जा सकता है। ऐसे खेत जहां पर सालभर जलभराव की स्थिति रहती हैं उन क्षेत्रों के लिए यह वरदान है। साथ ही रबी मौसम में धान की फसल के विकल्प के रूप में इसका उत्पादन लिया जा सकता हैं। नई फसल से जहां धान की फसल में कीट व बीमारियों के नियंत्रण में आसानी होगी। साथ ही कैश क्रॉप होने के कारण किसानों को सीधे अधिक आय प्राप्त होगी। किसान धान के खेत में फसल का रोपण कर 8-10 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं। चूंकि फसल में उत्पादन लागत अत्यंत कम हैं। अत: प्रति एकड़ लागत निकालकर किसान को 40 हजार से 50 हजार रुपए तक की आय प्राप्त हो सकती हैं। जिले में तीन गांव बोट्टे (लालबर्रा), कोस्ते और नक्शी (किरनापुर) में 4 किसानों के खेत में यह फसल प्रयोग स्वरूप लगाई गई हैं। इनके नतीजे प्राप्त होने पर किसानों के बीच इस तकनीक को ले जाया जाएगा।
भ्रमण के दौरान कलेक्टर द्वारा किसानों के खेतों में लगाई जा रही श्री विधि (एसआरआइ) पद्धति का अवलोकन किया गया। जिसके बारे में उपसंचालक कृषि सीआर गौर द्वारा इस रोपाई पद्धति से होने वाले लाभ के बारे में कलेक्टर द्वारा ग्राम के कृषकों चंद्रकिशोर बघेल, लक्ष्मीचंद झंझाड़े, अरविन्द गाड़ेश्वर सहित अन्य से चर्चा की गई और उनकी कृषि की समस्याओं को समझा।