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बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज
दरअसल कटेदरा गांव की रहने वाली 85 वर्षीय भूरनबाई का निधन हो गया था। भूरनबाई का कोई बेटा नहीं है और पति का भी कुछ समय पहले देहांत हो चुका है। ऐसे में उनकी आठ बेटियों ने ही उनके अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी उठाई। मां के निधन के बाद बेटियों ने गांव वालों को बताया कि वो अपनी मां का अंतिम संस्कार करेंगी। गांव वालों ने भी बेटियों के फैसले का स्वागत किया और अंतिम संस्कार में बेटियों की पूरी मदद की। 8 बेटियों ने मां की अर्थी को कंधा दिया और पूरे रीति रिवाज के साथ मुखाग्नि देकर अंतिम विदाई भी दी। जिसने भी बेटियों को मां की अर्थी को कांधा देते हुए देखा उसकी आंखे भर आईं।
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बेटियों के फैसले की हो रही तारीफ
बेटे के न होने पर बेटियों ने जो फैसला लिया वो वाकई तारीफ के काबिल है। गांव वालों का कहना है कि पुराने मान्यताओं से परे होकर बेटियों ने आज बेटों का फर्ज निभाया है। सभी बहनों ने मिलकर पहले मां की अर्थी के कंधा लगाया और फिर उनका अंतिम संस्कार किया। बेटियों के इस फैसले में पूरा गांव उनके साथ था और हर
कोई उनके उठाए कदम की तारीफ कर रहा है।
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