बहराइच

गैंडों को पसंद आ रहा कतर्नियाघाट का वातावरण, बढ़ रहा यहां उनका कुनबा

दुधवा के हाथी और पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बाघों के बाद बहराइच के कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग में गैंडों का कुनबा बढ़ रहा है।

बहराइचDec 15, 2020 / 08:50 am

Karishma Lalwani

गैंडों को पसंद आ रहा कतर्नियाघाट का वातावरण, बढ़ रहा यहां उनका कुनबा

बहराइच. दुधवा के हाथी और पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बाघों के बाद बहराइच के कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग में गैंडों का कुनबा बढ़ रहा है। नेपाल के रायल बर्दिया नेशनल पार्क से आए गैंडों को यहां की आबोहवा रास आ रही है। कतर्नियाघाट अब गैंडों का पसंदीदा स्थल बन रहा है। खासतौर से कौड़ियाला बीट का जंगल गैंडों को खूब रास आ रहा है। इस लिहाज से सैलानियों का भी रुख कोड़ायाला घाट की ओर बढ़ रहा है। तकरीबन आठ गैंडे वन क्षेत्र की शोभा बढ़ा रहे हैं। पहले यहां चार की तादाद में ही गैंडे देखे जाते थे।
पसंद आ रहा कतर्नियाघाट का वातावरण

कतर्नियाघाट एक खुला जंगल है। यहां गैंडों या किसी वन्य जीव को आने जाने में ज्यादा परेशानी नहीं होती। गेरुआ, कौडियाला और नेपाल की भादा (सरयू) नदी से घिरा होने के कारण गैंडो को नेपाल के रायल बर्दिया नेशनल पार्क से खाता कारीडोर के रास्ते भारतीय सीमा के जंगल में प्रवेश करने में कोई परेशानी नहीं होती है। कतर्नियाघाट में प्रचुर मात्रा में लंबी घासों व नरकुल की बाहुल्यता है। यही कारण है कि गैंडो का यहां का वातावरण काफी रास आ रहा है। कौडिय़ाला बीट के जंगलों में गैंडे अकसर चहलकदमी करते देखे जा सकते हैं।
गैंडा पुनर्वास केंद्र की स्थापना के लिए प्रस्ताव

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अध्ययन में कतर्निया जंगल गैंडो के प्राकृतिक वास के लिए उपयुक्त पाया गया है। 12 फीट लंबे एवं छह फीट तक ऊंचे विशालकाय गैंडे अपनी धीमी चाल व शांत स्वभाव के कारण सैलानियों की पसंद बने हुए हैं। उधर, 100 वर्ष की आयु के स्वामी गैंडो के संरक्षण के मद्देनजर गैंडा पुनर्वास केंद्र की स्थापना के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने प्रस्ताव तैयार कराया गया है।
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