हर साल होता है प्रतिमा विसर्जन
शहर में हर साल प्रतिमा विसर्जन होता है, जिसमें डीजे के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है। ऐसे में पुलिस अफसरों की जिम्मेदारी थी कि वह सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करते। क्योंकि यात्रा का रूट पहले से ही तय होता है। लेकिन, बहराइच पुलिस और प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। यही वजह है कि जब बवाल शुरू हुआ तो पुलिस बल नाकाफी साबित हुआ। उपद्रवी हावी हो गए। उन्होंने जो चाहा वही किया। गोपाल को घर के भीतर खींच ले गए। पीटा, बर्बरता की और फिर गोली भी मार दी। उसे बचाने पुलिस नहीं आ सकी।एडीजी ने मोर्चा संभाला, तब कुछ शांत हुआ माहौल
रविवार को पहले दिन हिंसा के बाद मुख्यमंत्री ने घटना का संज्ञान लिया था। उच्चाधिकारियों को निर्देश दिए थे। अफसरों ने दावा किया था कि अब सुरक्षा के पूरे इंतजाम कर लिए गए हैं। लेकिन सोमवार सुबह जब रामगोपाल का शव घर पहुंचा तो उसके बाद कई घंटे तक गांवों और कस्बों तोड़फोड़, आगजनी और अराजकता होती रही। दोपहर बाद जब एडीजी एलओ ने मोर्चा संभाला तब जाकर कुछ माहौल शांत हुआ।अफसरों की लापरवाही और नाकामी रही हावी
त्योहार से पहले सीएम ने वीसी की थी, जिसमें जोन, रेंज और जिला कप्तान शामिल हुए थे। विसर्जन पर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए थे। हिंसा ने आदेश निर्देश की धज्जी उड़ा दी। अफसरों की लापरवाही और नाकामी हावी रही।आगजनी से पहले मकान और दुकान खाली कर चले गए थे समुदाय के लोग
दूसरे समुदाय के जिन घरों और दुकानों पर भीड़ ने सोमवार को धावा बोला व आगजनी की वहां पर लोग नहीं थे। अगर उनकी मौजूदगी होती तो बहुत बड़ी घटना हो सकती थी। साफ है कि उन लोगों को आशंका थी कि सोमवार को बवाल बढ़ सकता है। इसलिए वे घर और दुकान खाली कर सुरक्षित जगहों पर चले गए थे। कुछ लोगों को पुलिस ने भी बचा लिया। यह भी पढ़ें