कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि खेती में रासायनों के उपयोग से पर्यावरण पर भी गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे है। इन समस्याओं के समाधान के रूप में सरकार ने गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना की शुरुआत की है। गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना का उद्देश्य न केवल जैविक खाद उत्पादन को बढ़ावा देना है, बल्कि इससे पर्यावरण पर पड़ रहे रासायनिक दुष्प्रभाव को भी कम करना है। साथ ही फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होगी। चौमूं में 50 इकाई का लक्ष्य रखा गया है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राज किसान साथी पोर्टल पर किसान आवश्यक दस्तावेज लेकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। अनुदान पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर देय है। स्वीकृति जारी होने के बाद भौतिक सत्यापन किसान को अनुदान मिलेगा।
रासायनिक ऊर्वरकों से बंजर होती धरती
सहायक कृषि अधिकारी चौमूं सुमन यादव ने बताया कि रासायनिक उर्वरकों के लगातार उपयोग से मृदा की उर्वरा शक्ति घटती जा रही है और धरती बंजर हो रही है। सरकार की योजना किसानों एवं पर्यावरण संरक्षण का काम करेगी। जैविक खाद मृदा के लिए प्राकृतिक पोषण का काम करती है। वर्मी कम्पोस्ट जैसे जैविक खाद से न केवल फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि मृदा का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। इससे किसानों की भूमि की उत्पादकता बढ़ती है और लंबे समय तक टिकाऊ रहती है।
सहायक कृषि अधिकारी चौमूं सुमन यादव ने बताया कि रासायनिक उर्वरकों के लगातार उपयोग से मृदा की उर्वरा शक्ति घटती जा रही है और धरती बंजर हो रही है। सरकार की योजना किसानों एवं पर्यावरण संरक्षण का काम करेगी। जैविक खाद मृदा के लिए प्राकृतिक पोषण का काम करती है। वर्मी कम्पोस्ट जैसे जैविक खाद से न केवल फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि मृदा का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। इससे किसानों की भूमि की उत्पादकता बढ़ती है और लंबे समय तक टिकाऊ रहती है।
प्रत्येक ब्लॉक 50 इकाई खोली जाएगी
गोविंदगढ़ सहायक कृषि अधिकारी डॉ. हीरालाल यादव ने बताया कि यहां झोटवाड़ा विस्तार में चौमूं, आमेर, जयपुर, झोटवाड़ आदि ब्लॉक शामिल है। जहां प्रत्येक ब्लॉक में 50 इकाई खोलने का लक्ष्य है। जयपुर जिले की बात की जाए तो 800 से अधिक इकाई खोली जाएगी। किसान इसके लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
गोविंदगढ़ सहायक कृषि अधिकारी डॉ. हीरालाल यादव ने बताया कि यहां झोटवाड़ा विस्तार में चौमूं, आमेर, जयपुर, झोटवाड़ आदि ब्लॉक शामिल है। जहां प्रत्येक ब्लॉक में 50 इकाई खोलने का लक्ष्य है। जयपुर जिले की बात की जाए तो 800 से अधिक इकाई खोली जाएगी। किसान इसके लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
यूं करें यूनिट तैयार
वरिष्ठ पर्यवेक्षक अजय बागड़ा ने बताया कि किसान को छायादार स्थान पर वर्मी यूनिट तैयार करने को लेकर 8 फीट लंबी व 3 फीट चौड़ी व 2.5 फीट गहरी दो वर्मी कंपोस्ट फीट का निर्माण करना आवश्यक होगा। यूनिट में तैयार वर्मी कंपोस्ट को किसान स्वयं अपने खेत में उपयोग करने के अलावा बाजार में भी अ‘छे दाम पर बेच सकता है, जिससे किसान को आर्थिक संबल भी मिल सकेगा। वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए किसान को कम से कम 8 से 10 किलो केंचुए की आवश्यकता रहेगी।
वरिष्ठ पर्यवेक्षक अजय बागड़ा ने बताया कि किसान को छायादार स्थान पर वर्मी यूनिट तैयार करने को लेकर 8 फीट लंबी व 3 फीट चौड़ी व 2.5 फीट गहरी दो वर्मी कंपोस्ट फीट का निर्माण करना आवश्यक होगा। यूनिट में तैयार वर्मी कंपोस्ट को किसान स्वयं अपने खेत में उपयोग करने के अलावा बाजार में भी अ‘छे दाम पर बेच सकता है, जिससे किसान को आर्थिक संबल भी मिल सकेगा। वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए किसान को कम से कम 8 से 10 किलो केंचुए की आवश्यकता रहेगी।
वर्मीकम्पोस्ट इकाई के लिए शर्तें
-किसान के पास गौवंश होने चाहिए।
-किसान के पास जमीन का स्वामित्व होना जरूरी है।
-पर्याप्त पशुधन, पानी और कार्बनिक पदार्थ की उपलब्धता होनी चाहिए।
-केवल ऑनलाइन आवेदन ही स्वीकार किए जाएंगे।
-योजना के तहत चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगा
-यानी आवेदन करने वाले पहले किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।
-किसान के पास गौवंश होने चाहिए।
-किसान के पास जमीन का स्वामित्व होना जरूरी है।
-पर्याप्त पशुधन, पानी और कार्बनिक पदार्थ की उपलब्धता होनी चाहिए।
-केवल ऑनलाइन आवेदन ही स्वीकार किए जाएंगे।
-योजना के तहत चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगा
-यानी आवेदन करने वाले पहले किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।
इनका कहना है—
गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना से किसानों को जैविक खाद उत्पादन के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। जिससे वे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम कर सकेंगे। यह योजना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। जो न केवल उनकी आय बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगी। जिले में 850 एवं प्रत्येक ब्लॉक में 50 इकाई लगाने का लक्ष्य है।
-लक्ष्मी यादव, सहायक निदेशक, कृषि विस्तार, झोटवाड़ा।