बागपत

स्कूल बस के नीचे आया छह साल का छात्र, मौत के बाद परिजनों में मचा कोहराम

Student Died in Bagpat: गाजियाबाद के चौथी क्‍लास में पढ़ने वाले अनुराग नेहरा की दर्दनाक मौत को एक महीना भी नहीं हुआ है कि उत्तर प्रदेश के बागपत में फिर एक स्कूल बस से छात्र की मौत हो गई।

बागपतMay 05, 2022 / 01:07 pm

Snigdha Singh

Student Died After Came under School Bus in Bagpat Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश के बागपत में फिर एक स्कूल बस से छात्र की मौत हो गई। गाजियाबाद के चौथी क्‍लास में पढ़ने वाले अनुराग नेहरा की दर्दनाक मौत को एक महीना भी नहीं हुआ है कि एक और घटना हो गई। गुरुवार की सुबह एक छह वर्षीय छात्र की स्कूल बस की चपेट में आने से मौत हो गई। सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया और स्कूल परिसर में जाकर जमकर हंगामा किया। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने का प्रयास किया लेकिन परिजनों पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया।
परिजनों की जानकारी के अनुसार चामरावल निवासी अरुण का छह वर्षीय पुत्र आयुष बागपत के पांची-चमरावल मार्ग के स्थित एक पब्लिक स्कूल में यूकेजी कक्षा का छात्र था। गुरुवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे वह स्कूल पहुंच गया था। लेकिन स्कूल परिसर में ही स्कूल की बस को बैक करते हुए वह छात्र बस के टायर के नीचे आ गया, जिसमें उसकी मौके पर ही मौत हो गई। सूचना पर परिजनों में कोहराम मच गया। परिजनों ने स्कूल परिसर में जमकर हंगामा किया। गाड़ी ड्राइवर पर लापरवाही के साथ साथ बच्चे की हत्या करने का आरोप लगाया।
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ग्रामीणों ने स्‍कूल प्रबंधक को पीटा

सूचना मिलते ही परिजन और ग्रामीण मौके पर पहुंचे और स्कूल प्रबंधक के साथ मारपीट कर दी। इस दौरान ग्रामीणों ने बस का शीशा तोड़ दिया और जमकर हंगामा किया। सूचना पाकर सीओ विजय चौधरी, अनुज मिश्रा और कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने ग्रामीणों को समझाकर शव उठाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीण डीएम और एसपी को मौके पर बुलाने की मांग पर अड़ गए। परिजनों की मांग है स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
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बिना मेंटीनेंस के दौड़ रही गाड़ियां

सहायक संभागीय परिवहन विभाग से फिटनेस को लेकर जब सख्ती दिखाई गई तो पता चला 7 हजार से अधिक ऐसे वाहन जिनका मेंटीनेंस नही हैं। इसमें कानपुर, जालौन, मथुरा, प्रयागराज आदि तमाम शहरों के स्कूल हैं। इसमें 800 से अधिक अनफिट वाहन सड़कों पर दौड़ रही हैं। अधिकतर स्कूल संचालक अपने विद्यालय के छात्र-छात्राओं को आवागमन के लिए पुराने वाहनों को लगाए हुए हैं।

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