दीपक सारस्वत, मददगार को हर वो सपोर्ट देते हैं, जो कानून को सच को मानने पर बाध्य करता है। उनके पीछे राजनैतिक, प्रशाशनिक, मीडिया व वकीलों की टीम का नेटवर्क है, जो किसी बेगुनाह को जेल जाने से और पीड़ित को इंसाफ दिलाने में थाने में पूरा जोर लगाता है। सारस्वत का कहना है कि मैंने कभी किसी भी केस के लिए किसी भी पुलिस को बाध्य नहीं किया, ना ही किसी असभ्य भाषा का उपयोग किया है। मैंने सिर्फ सच का आइना दिखाया है, जिसे कई बेईमान अफसर पैसे या ताकत की आड़ में देख नहीं पाते” कई बार जब थाने में उनके हक़ में बात नहीं सुनी जाती, तो वो उच्च अधिकारीयों तक पहुंच जाते हैं, अंत में उनकी लीगल टीम कोर्ट का रुख लेती है।
यह भी पढ़ें
Khatauli assembly by-election : फायरब्रांड नेता संगीत सोम हो सकते हैं खतौली उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार !
अधिकतर ग़रीब और पीड़ित महिला के लिए सारस्वत पहुंचते हैं। जिनकी फरियाद थाने में नहीं सुनी जाती। दहेज़ प्रताड़ना, दबंगों द्वारा सताए जाने, व पुलिस के द्वारा झूठा मुकदमे को सारस्वत की टीम छाटती और फिर लीगल कार्यवाही के लिए मामला तैयार किया जाता है। कई पुलिस और डिपार्टमेंट को भी सारस्वत लीगल नोटिस भी भेज चुके हैं। दीपक सारस्वत, राजनीति की अच्छी सूझबूझ रखते हैं और साथ ही वो एक सफल इलेक्शन कंपैनर भी हैं। पर उनका मानना है कि वो राजनीति में कभी नहीं उतरेंगे। हाँ, यदि मौका मिला तो किसी विभाग, आयोग या बोर्ड के लिए पदाधिकारी हो सकते हैं, जिससे अधिक ताकत के साथ गरीबों और पीड़ितों की ज्यादा से ज्यादा मदद हो सके।