यह है कथा परशुरामेश्वर महादेव मंदिर उस कजरी वन में स्थित है, जहां पर जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका के साथ रहा करते थे। कथा प्रचलित है कि पुरा महादेव गांव कजरी वन में बसा हुआ है। आश्रम में ऋषि की पत्नी रेणुका प्रतिदिन कच्चा घड़ा बनाकर हिंडन नदी से जल भरकर भगवान शिव को अर्पण किया करती थी। यहां एक बार राजा सहस्त्रबाहु शिकार खेलते हुए पहुंचे। जमदग्नि ऋषि की अनुपस्थिति में रेणुका से उनका साक्षात्कार हुआ। रेणुका ने सहस्त्रबाहु राजा की सेवा की। राजा सेवा भाव देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि एक जंगल में इतनी व्यवस्थाएं कैसे हो सकती हैं।
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राजा ने उठा लिया था ऋषि की पत्नी को पौराणिक कथा के अनुसार, राजा ने जिज्ञासापूर्वक जब रेणुका से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कामधेनु गाय का जिक्र करते हुए उनकी कृपा के बारे में बताया। राजा उस अद्भुत गाय को बलपूर्वक वहां से ले जाने लगा तो रेणुका ने इसका विरोध किया। राजा गुस्से में रेणुका को ही बलपूर्वक उठाकर ले गया। इसके बाद राजा ने हस्तिनापुर अपने महल में ले जाकर रेणुका को कमरे में बंद कर दिया। एक दिन बाद उसने रेणुका को आजाद कर दिया। उन्होंने वापस आकर सारी बात ऋषि को बताई। रेणुका को आश्रम छोड़ने को कहा था ऋषि ने इस पर ऋषि ने एक रात्रि दूसरे पुरुष के महल में रहने के कारण रेणुका को ही आश्रम छोड़ने का आदेश दे दिया लेकिन वह नहीं गईं। फिर ऋषि ने अपने तीन पुत्रों को उनकी माता का सिर धड़ से अलग करने को कहा, लेकिन पुत्रों ने ऐसा करने से मना कर दिया। पिता के आदेश पर चौथे पुत्र परशुराम ने अपनी माता का सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में उनको पश्चाताप हुआ। उन्होंने भगवान शिव की तपस्या आरंभ कर दी। परशुराम की तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने वरदान मांगने को कहा। परशुराम ने अपनी माता को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने उनकी माता को जीवित कर दिया। इसके साथ ही भगवान शिव ने परशुराम को एक फरसा प्रदान किया। इससे ही उन्होंने 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था।
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