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ताजा मामला बागपत जिले के बड़ौत तहसील क्षेत्र के शबगा गांव में किसान के खेत में सात साल से नलकूप नहीं है, लेकिन 3.5 लाख रुपये बिजली बकाया के नाम पर एक हेक्टेयर भूमि कुर्क कर दी गई। भूमि कुर्क होने के सदमे से किसान की पत्नी बीमार हो गई हैं। अब किसान ने मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई है। बड़ौत क्षेत्र के शबगा गांव के रहने वाले रामस्वरूप पुत्र टीकाराम ने बताया कि गांव में उनकी लगभग एक हेक्टेयर कृषि भूमि है, जिस पर नलकूप लगा हुआ था। उन्होंने 29 मई 2013 को ऊर्जा निगम में बकाया बिल जमा कर विद्युत कनेक्शन काटने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। केबिल उतारने के रुपये जमा कर दिए थे। उसी दिन एसडीओ ने रिपोर्ट भी लगा दी थी, लेकिन सात साल बाद 23 जुलाई 2020 को तहसील से अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड, प्रथम बड़ौत कार्यालय का हवाला देते हुए उन्हें 3,50,807 रुपये की रिकवरी नोटिस जारी कर बकाया देय जमा कराने के निर्देश दिए गए।
पीड़ित ने बताया कि तहसील से उन्हें रिकवरी नोटिस जारी किया तो उन्होंने ऊर्जा निगम के अफसरों से संपर्क किया और 12 दिसंबर 2020 को उन्होंने अधीक्षण अभियंता को मामले की जानकारी दी। उसके बाद उन्होंने 14 दिसंबर को एसडीओ को जांच के निर्देश दिए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। तहसील से उनकी लगभग एक हेक्टयर कृषि भूमि कुर्क कर दी गई। अधिशासी अभियंता प्रथम गोपाल सिंह ने बताया कि संबंधित अभिलेखों के आधार पर समस्या का समाधान कराएंगे।
सदमे में पत्नी बीमार किसान ने बताया कि विद्युत कनेक्शन कटने के बाद उन्होंने खेत से नलकूप को हटा दिया था। फसलों की सिंचाई वह किराए के पानी से फसलों की सिंचाई कर रहे हैं। भूमि कुर्क होने के सदमे से उनकी 70 साल की पत्नी जगबीरी बीमार हो गई हैं।
85 हजार रुपये चुकता फिर भी दर्शा दिया ऋण पीड़ित किसान ने बताया कि उनकी भूमि पर 85 हजार रुपये का ऋण भी बकाया दर्शा रखा है, जबकि वह इसे पहले ही चुकता कर चुके हैं। ऋण जमा कराने के बैंक संबंधी अभिलेख भी उनके पास हैं।