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दरअसल, बागपत कस्बे के चौहान पट्टी निवासी 60 वर्षीय सुभाष सिंह का लंबी बीमारी के कारण शनिवार को स्वर्गवास हो गया था। वह पुलिस में नौकरी करते थे, लेकिन बीमारी के कारण उन्होंने पुलिस से वीआरएस ले लिया था और घर पर ही आराम कर रहे थे। परिवार में उनके अलावा उनकी पत्नी विमलेश और दो बेटियां हैं, जिनको उन्होंने बेटों से भी बढ़कर प्यार दिया और अपनी जिम्मेदारी भी निभाई है। बेटियों में उनकी बड़ी बेटी अंशु की शादी हो गई है, जबकि छोटी बेटी शालू अविवाहित है। लंबी बीमारी के बाद सुभाष सिंह का शनिवार को देहांत हो गया। उनके स्वर्गवास के बाद अंतिम संस्कार करने की तैयारी शुरू हुई तो ग्रामीणों में मुखाग्नि देने की चर्चा भी शुरू हो गई। चर्चा शुरू हुई तो बेटी के कानों तक भी पहुंच गई। ऐसे में बेटी ने सामने आकर सभी की चिंता को विराम देते हुए मुखाग्नि देने की बात कही। बेटी द्वारा मुखाग्नि देने की बात भी समाज के लोगों को पच नहीं पाई और आपस में चर्चा शुरू हो गई, लेकिन लोगों की परवाह न करते हुए बेटी ने पिता की चिता को मुखाग्नि देने का फैसला किया। इसके बाद बेटी न केवल पिता की अंतिम यात्रा में श्मशान घाट पहुंची, बल्कि अंतिम संस्कार के दौरान मुखाग्नि देकर अपना फर्ज भी निभाया।