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बड़वानी

कितने गुना बढ़ेगा समर्थन मूल्य! सरकार कैसे देगी लाभ! किसान आंदोलन का बड़ा अपडेट

Kisan protest- इन दिनों देशभर में किसानों के आंदोलन की गूंज है। एमएसपी यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित कई मांगों पर खासतौर पर पंजाब—हरियाणा के किसान देश की राजधानी में प्रदर्शन कर रहे हैं। आदिवासी किसानों ने कुछ ऐसा ही प्रदर्शन बड़वानी में भी किया।

बड़वानीFeb 16, 2024 / 12:02 pm

deepak deewan

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देशभर में किसानों के आंदोलन की गूंज

इन दिनों देशभर में किसानों के आंदोलन की गूंज है। एमएसपी यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित कई मांगों पर खासतौर पर पंजाब—हरियाणा के किसान देश की राजधानी में प्रदर्शन कर रहे हैं। आदिवासी किसानों ने कुछ ऐसा ही प्रदर्शन बड़वानी में भी किया।

यहां किसानों आदिवासियों ने रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया। किसानों ने खुलकर बताया कि समर्थन मूल्य कितने गुना बढ़ेगा जब हमें लाभ होगा! उन्होंने कहा कि सरकार फसलों की लागत से डेढ़ गुना दाम की कानूनी गारंटी देकर हमें लाभ दिला सकती है। इस संबंध में तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर मांग की गई।

वन अधिकार कानून का क्रियान्वयन और बिना ग्राम सभा की अनुमति के जंगलों को कंपनियों को हवाले करने वाले वन संरक्षण कानून 2023 के नियमों को खारिज करने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया। कलेक्टर से बड़वानी में रोजगार गारंटी में काम कर चुके मजदूरों की 850 करोड़ की बकाया राशि का तुरंत भुगतान करने, बड़वानी के वन अधिकार दावों पर नियमानुसार कार्रवाई करने और पाटी क्षेत्र के अस्पतालों में नियुक्तियों की मांग की गई। मांगों पर कार्रवाई न होने पर और भी बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी भी दी।

जागृत आदिवासी दलित संगठन के नेतृत्व में देशव्यापी किसान आंदोलन में शामिल होते हुए पाटी में आदिवासी महिला और पुरुषों ने रैली निकाल विरोध प्रदर्शन किया। फसलों की लागत पर डेढ़ गुना दाम तय करने की कानूनी गारंटी की मांग उठाई गई। किसानों ने साफ कहा कि सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात करती है। फसलों का समर्थन मूल्य डेढ़ गुना बढ़ेगा तो ही किसानों को लाभ हो सकता है। सरकार चाहे तो ऐसा कर सकती है।

वन अधिकार कानून के क्रियान्वयन के साथ पाटी क्षेत्र में अस्पतालों में नियुक्तियों की कमी, नरेगा और राशन प्राप्त करने में आ रही परेशानियों को लेकर संगठन ने रैली कर तहसील कार्यालय में सभा का आयोजन किया। आदिवासियों के आंदोलन में आदिवासी छात्र संगठन से प्रकाश बंदोड, सामाजिक कार्यकर्ता पोरलाल खरते भी शामिल हुए।

हरसिंग जमरे, नासरी बाई निंगवाल ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं है। वहीं पाटी अस्पताल में प्रसव भवन के निर्माण व विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में एएनएम एवं सीएचओ की नियुक्ति की मांग उठाई गई। राशन वितरण में भी मोबाइल अनिवार्य करने के आदेश आदिवासियों के खाने के संविधानिक अधिकार का उल्लंघन है।

सभा में कहा गया कि राशन आदिवासियों का अधिकार है, किसी सरकार की भीख नहीं। देशभर में किसान मज़दूरों के आंदोलन के तहत फसलों की लागत पर डेढ़ गुना भाव का सरकारी रेट तय कर उसकी कानूनी गारंटी दी जाने की मांग की गई। रोजगार गारंटी में कम से कम 200 दिन काम और 800 रुपए एक दिन की मजदूरी और मजदूरों को 26000 रुपए महीने की न्यूनतम मजदूरी की भी मांग की गई।

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