आजमगढ़

कोर्ट से नहीं मिली थी रेप पीड़िता को गर्भपात की इजाजत, बेटे को दिया जन्म, अब गोद लेने वालों की लगी है लाइन

रेप पीड़िता ने बेटे का जन्म दिया। समाज के डर से उसे अस्पताल में छोड़कर चली गई।

आजमगढ़Dec 30, 2022 / 05:31 pm

Ranvijay Singh

प्रतीकात्मक फोटो

कौशांबी जिले में रेप की शिकार नाबालिग ने बेटे को जन्म दिया। जन्म के बाद बच्चा कमजोर था। उसे एसएनसीयू में रखा गया। समाज के भय से मां बच्चे को छोड़कर चली गई। अस्पताल की आया ने बच्चे को अपना लिया। अब बच्चे को गोद लेने के लिए कई लोग आए आए हैं।

 

सगे चाचा ने नाबालिग लड़की से किया था दुष्कर्म
चरवा क्षेत्र की रहने वाली एक नाबालिग लड़की के साथ उसके चाचा ने रेप किया था। रेप के बाद लड़की गर्भवती हो गई थी। समाज के तानों के बीच उसने गर्भ को जिंदा रखा। समाज से लड़ते हुए बच्चे को जन्म दिया।


गर्भपात की अर्जी कोर्ट ने की थी नामंजूर
समाज के तानों से परेशान रेप पीड़िता ने न्यायालय में अपील कर गर्भपात की अनुमति मांगी थी। उस समय कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट में लड़की के जीवन को खतरा बताया था। इसके बाद कोर्ट ने गर्भपात की इजाजत देने से इनकार कर दिया था।


13 दिसंबर 2022 को बच्चे को दिया जन्म
रेप पीड़िता ने 13 दिसंबर को जिला अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था। मां की उम्र कम होने के कारण बच्चा काफी कमजोर था। उसे चिकित्सकों ने एसएनसीयू यानि विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई में भर्ती करा दिया था। 15 दिसंबर को दुष्कर्म पीड़िता को स्वास्थ्य में सुधार लगा तो वह माता-पिता के साथ घर चली गई।


किसी ने नहीं ली बच्चे की सुधि
रेप पीड़िता को परिवार के लोग प्रसव के बाद घर ले गए। इसके बाद किसी ने बच्चे के बारे में जानकारी नहीं ली। बच्चा अस्पताल में ही पड़ा रहा।


वार्ड आया शीला दे रही मां का प्यार
वार्ड आया शीला विश्वकर्मा ने जब बच्चे को रोते देखा तो उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने बच्चे को अपना लिया। शीला बताती हैं कि वे हर सुबह गर्म पानी से बच्चे के शरीर की धुलाई करती है। समय-समय पर दूध भी पिलाया जाता है।

शिफ्ट के दौरान जिस भी नर्स की ड्यूटी होती है वह बच्चे की देखभाल करती है। उनकी गोद में बच्चा खुद को काफी सहज भी महसूस करता है। गोद में आते ही बच्चे का रोना तक बंद हो जाता है।


कई लोग बच्चे को लेना चाहते हैं गोद
मामला सुर्खियों में आने के बाद बच्चे को गोद लेने वालों की लाइन लगनी शुरू हो गई है। दो दिन पूर्व फतेहपुर से दंपत्ति आए थे। सीएमएस डॉ. दीपक सेठ से बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी ले रहे थे। इसके पहले चरवा क्षेत्र से एक दंपती अस्पताल पहुंचा था।

उनके कोई औलाद नहीं है। वह भी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं। लखनऊ की एक महिला भी अधिकारियों के संपर्क में है कि बच्चा उन्हें मिल जाए। बहरहाल अभी बच्चा काफी कमजोर होने के कारण चिकित्सक गोद दिए जाने की प्रक्रिया से गुरेज कर रहे हैं। माना जा रहा है कि बच्चा का पालन पोषण की जिम्मेदारी समय आने पर किसी बेहतर हाथों में सौंपी जाएगी।

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क्या कहते हैं अधिकारी
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दीपक सेठ का कहना है कि बच्चा काफी कमजोर है। उसे दवाओं के साथ दूध पिलाया जाता है। कई लोगों ने बच्चे को गोद लेने के लिए संपर्क किया है। जब तक उसके स्वास्थ्य को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं होंगे, तब तक कुछ नहीं कर सकते हैं। बच्चे के पूरी तरह स्वस्थ होने पर ही बाल कल्याण समिति अथवा अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।

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