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आजमगढ़

पं. लक्ष्मीनारायण मिश्र, जनका काव्य अतर्जगत छायावाद की आधारशिला माना जाता है

आजमगढ़ में मनायी गयी महाकवि और स्वतंत्रता सेनानी स्व. पं. लक्ष्मी नारायण मिश्र की 115वीं जयन्ती। वक्ताओं ने बताया हिन्दी नाटक में बौद्धिकता का अग्रदूत

आजमगढ़Dec 21, 2017 / 07:12 pm

रफतउद्दीन फरीद

Pt Lakshami Narain Mishra Birthday

पं. लक्ष्मी नारायण मिश्र जयंती

आजमगढ़. राष्ट्रभाषा हिन्दी के अन्नय साधक हिन्दी नाट्क के जन्मदाता महाकवि एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. पं. लक्ष्मी नरायण मिश्र की 115 वीं जयन्ती नगर पालिका तिराहा स्थित “पं. लक्ष्मी नरायण मिश्र स्मृति उद्यान“ में मनायी गयी। इस दौरान उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। उन्हें हिंदी नाटक में बौद्धिकता का अग्रदूत बताया गया।

मंडलायुक्त के रविंद्र नायक ने कहा कि पं. लक्ष्मीनारायण मिश्र का जन्म 1903 में इसी जनपद के बस्ती गाँव में हुआ था। आधुनिक साहित्य निर्माताओ में मिश्र जी का स्थान शीर्षस्थ था। यथार्थ मूलक समस्या प्रधान नाटकों का हिन्दी मे प्रथम प्रणयन आपने ही किया। आपका ‘अन्तर्जगत’ काव्य छायावाद की आधारशिला माना जाता है। ‘कालजयी’ नामक अपूर्ण महाकाव्य में सेनापति कर्ण की यशोगाथा का गायन किया गया है। मिश्रजी नाटक साहित्य के आलोक शिखर थे, साथ ही एक उच्च कोटि के कवि निबन्धकार तथा वक्ता थे।
Pt Lakshami Narain Mishra Birthday
 

उन्होंने कहा कि हिन्दी नाटकों में आप बौद्धिकता के अग्रदूत बनकर अवतरित हुए। संस्कृत-अनुप्राणित मौलिक विचार धारा के साथ ही चरित्र प्रतिष्ठा आपकी नाट्क साहित्य की सबसे बड़ी विषेषता थी। मिश्र जी की प्रमुख नाट्य कृतियाँ हैं-अषोक ,सन्यासी, राक्षस का मन्दिर, मुक्ति का रहस्य, राजयोग, सिन्दूर की होली, आधी रात, गरूण ध्वज, नारद की वीणा, वत्सराज, दषाश्वमेध, प्रलय के पंख पर, अषोक वन, वितरता की लहरें, जगद्गुरू, धरती का हृदय तथा मृत्युन्जय प्रमुख हैं। उन्होंने काफी पुस्तके लिखी लेकिन मुख्य रूप से वह नाट्ककार के रूप में जाने जाते थे।

पंडित लक्ष्मी नारायण मिश्रा द्वारा दिया गया निर्देश हम लोगो के लिए अनुकरणीय है। इन्होने पूरे देश में आजमगढ़ का नाम रोशन किया है हम लोगो के लिए गर्व की बात है। हम लोगो को भी जनपद का नाम रोशन करने के लिए आगे आना चाहिए। जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि पंडित जी का नाम देश ही नहीं विदेशों में भी जाना जाता है और हम लोगो को भी उनके आदर्शों पर चलकर अपने ज़िले के नाम को रोशन करना चाहिए।

गोष्टी की अध्यक्षता पंडित अमरनाथ तिवारी तथा संचालन डॉ. वेद प्रकाश उपाध्याय ने किया। इस मौके पर आशुतोष मिश्र विशेष शासकीय अधिवक्ता उत्तर प्रदेश राज्य सरकार एवं व्यवस्थापक पंडित लक्ष्मी नारायण मिश्रा स्मृति संस्थान (पौत्र), अश्वनी मिश्रा “गणेश“, चिरंजीवी मिश्रा, कार्तिके (प्रपौत्रगण), अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका परिषद् प्रतिभा सिंह ने विचार व्यक्त किया।

इस मौके पर नगर स्वस्थ्य अधिकारी डॉ. बीके अग्रवाल, नगर पालिका अध्यक्ष शिला श्रीवास्त्व, पूर्व पालिका अध्यक्ष माला द्विवेदी, डॉ. वंदना द्विवेदी, पूर्व प्राचार्य अग्रसेन महिला महाविद्यालय शारदा सिंह, समाजसेवी ज्ञानू सिंह, भारत रक्षा दाल के अध्यक्ष उमेश सिंह, हरिकेश विक्रम, रवि प्रकाश, डॉ. अशोक सिंह, अशोक वर्मा, बनवारी लाल जालान, आशुतोष द्विवेदी, पूर्व अध्यक्ष दीवानी बार विजय बहादुर सिंह, पूर्व मंत्री सेन्ट्रल बार शत्रुधन सिंह, सुधीर कुमार सिंह पल्लू (एडवोकेट), प्रभात बरनवाल (एडवोकेट), क्षेत्राधिकारी नगर सचिदानंद, शहर कोतवाल योगेंद्र सिंह, अभिषेक जायसवाल, रामाधीन सिंह पूर्व अध्यक्ष इलाहाबाद विश्वविद्यालय, डॉ. साधना सिंह, दिलीप अग्रवाल, आनंद मिश्रा आदि उपस्थित रहे।
by Ran Vijay Singh

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