बता दें कि आजमगढ़ रेलवे स्टेशन की स्थापना आजादी से पूर्व 1896 में अंग्रेजों द्वारा की गयी थी। कभी रेलवे ही यहां यातायात का प्रमुख माध्यम हुआ करता था। छोड़ी लाइन से बड़ी लाइन में परिवर्तित होने के लिए इसे सौ साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। एनडीए सरकार में रेल मंत्री बने नीतीश कुमार ने वर्ष 1996 में इसका आमान परिवर्तन कराया था।
इसके बाद यह रेलवे स्टेशन रेलवे की आय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा। आज भी यहां से मात्र छह जोड़ी ट्रेनों का संचालन होता है। लेकिन आमदनी में मामले में आसपास के जिलों से काफी आगे है। यही वजह है कि वर्ष 2008 में इसे माडल स्टेशन फिर एक साल बाद ही आर्दश रेलवे स्टेशन का दर्जा दिया गया लेकिन रेलवे स्टेशन की सुविधाओं को बढ़ाने के नाम पर इसे सिर्फ धोखा मिला।
यहां वर्षो से दो प्लेटफार्म है लेकिन कोच में पानी भरने की व्यवस्था सिर्फ प्लेटफार्म नंबर एक पर है। इसी से सभी ट्रेनों में पानी भरा जाता है, लेकिन एक नंबर पर गाड़ी खड़ी होने से दिक्कतें आती है। तमाम ट्रेने बिना पानी के ही यहां से गुजर जाती हैं।
रेलवे स्टेशन से होकर गुजरने वाली ट्रेनों में पानी समाप्त होने पर आए दिन शोर-शराबा होता है। एक नंबर प्लेटफार्म पर कोई गाड़ी खड़ी रहने से पानी के लिए यात्रियों को ट्रेन के मऊ पहुंचने का इंतजार करना पड़ता है। बिना पानी के यात्रा का दर्द समझा जा सकता है।
अब इस समस्या के समाधान के लिए प्लेटफार्म नंबर दो पर हाइड्रेंट पाइपलाइन बिछाई जा रही है। इस पाइप की लंबाई 650 मीटर है। इस पर 50 लाख रूपये लागत आ रही है। माना जा रहा है कि एक सप्ताह में कार्य पूरा हो जाएगा। इसकी बाद दोनों प्लेटफार्म पर आने वाली ट्रेनों में पानी भरा जा सकेगा। रेलवे परामर्श दात्री समिति के सदस्य सुरेश शर्मा का कहना है कि आजमगढ़ रेलवे स्टेशन की स्थापना को 124 साल हो चुके हैं लेकिन यह आज भी सुविधाओं से महरूम है। अब पाइप लाइन बिछने से थोड़ी राहत जरूर मिलेगी।
जनसंपर्क अधिकारी रेलवे मंडल वाराणसी अशोक कुमार का कहना है कि यात्रियों की समस्याओं को देखते हुए रेल प्रशासन प्लेटफार्म नंबर दो पर हाइड्रेंट पाइप की व्यवस्था कर रहा है। इससे यात्रियों को सुविधा मिलेगी और पानी समाप्त होने पर आने वाली समस्या दूर होगी।
BY Ran vijay singh