बता दें कि एमएलसी चुनाव में बीजेपी ने सपा विधायक बाहुबली रमाकांत यादव के पुत्र अरुणकांत यादव को मैदान में उतारा है तो सपा से एमएलसी राकेश यादव मैदान में है। वहीं बीजेपी से बगावत कर एमएलसी यशवंत सिंह ने अपने पुत्र विक्रांत सिंह को निर्दल मैदान में उतार दिया है। इसके अलावा दो अन्य निर्दल प्रत्याशी अंब्रेश व सिकंदर प्रसाद कुशवाह भी भाग्य आजमा रहे हैं लेकिन यहां सीधी लड़ाई अरुणकांत यादव, राकेश यादव और विक्रांत सिंह के बीच मानी जा रही है।
राकेश यादव पिछले चुनाव में इस सीट से एमएलसी चुने गए थे। उन्होंने बीजेपी के राजेश महुआरी को बड़े अंतर से हराया था। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सपा एमएलसी क्षेत्र में आने वाली 14 विधानसभा सीटों में से 13 पर जीत हासिल की है। इससे सपा का हौसला बुलंद है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने पार्टी से बगावत के कारण यशवंत सिंह को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। विक्रांत की जीत का दारोमदार उनके पिता पर ही टिका हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ अरुणकांत का भी मजबूत पक्ष उनके पिता रमाकांत यादव है। वैसे तो रमाकांत सपा के विधायक है लेकिन मतदान के दिन वे बीजेपी के खेमे में दिखे। यह भी कहा जा सकता है कि अंदरखाने से उन्होंने चुनाव में अपने पुत्र का खुलकर साथ दिया है। इससे सपा में उनके विरोधी सक्रिय हो गए है। अगर अरुणकांत जीत जाते हैं तो निश्चित तौर पर रमाकांत का कद बढ़ेगा। उनके लिए बीजेपी के साथ जाने के भी दरवाजे खुल सकते हैं। कारण कि सपा में खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। अगर अरुण हारते हैं तो रमाकांत का राजनीतिक कैरियर निश्चित तौर पर प्रभावित होगा। कारण कि फूलपुर क्षेत्र के लोग इसे उनके पूर्वांचल में वर्चश्व को जोड़कर देख रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ अगर विक्रांत जीतते हैं तो यशवंत सिंह का राजनीति में कद काफी बढ़ जाएगा। कारण कि वर्ष 1996 में यशवंत ने बसपा को तोड़कर यूपी में बीजेपी की सरकार बनाई थी। इसके बाद 2017 में सीएम योगी के लिए एमएलसी की कुर्सी छोड़ी थी। योगी के करीबी होने के बाद भी पुत्र को चुनाव लड़ाने के कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित किया गया है। ऐसे में अगर विक्रांत चुनाव जीतते हैं तो यशवंत का पार्टी से निष्कासन रद्द हो सकता है। वहीं अगर सपा जीतती है तो लोकसभा उपचुनाव के पहले उसका वर्चश्व क्षेत्र में बढ़ जाएगा।