बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर दीदारगंज से बसपा के टिकट पर जीते थे। पिछले दिनों सुखदेव राजभर ने बसपा छोड़ दी थी और अपने पुत्र कमलाकांत को सपा में शामिल करा दिया था। इसी बीच सुखदेव राजभर का निधन हो गया जिससे यह सीट खाली हो गयी। अब 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। बसपा जहां इस सीट के बचाना चाहती है। वहीं सपा किसी भी हालत में इस सीट को हासिल करना चाहती है। बीजेपी भी इस सीट पर दूसरी बार जीत हासिल करने की कोशिश करेगी। ऐसे में लड़ाई दिलचस्प होने की पूरी उम्मीद है।
बसपा ने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए बाहुबली भूपेंद्र सिंह मुन्ना को मैदान में उतारा है। मुन्ना का क्षेत्र में वर्चश्व है। बसपा को उम्मीद है कि एक मात्र सवर्ण के मैदान में होने से कम से कम क्षत्रिय वोट उसके साथ खड़ा होगा। उसका अपना वोटबैंक भी 20 प्रतिशत के आसपास है। इसके अलावा मुन्ना के समर्थके भी पार्टी के साथ खड़े होंगे। यही वजह है कि पार्टी के सवर्ण नेताओं को मुन्ना के लिए समर्थन जुटाने के लिए लगा दिया गया है। बुधवार को रसड़ा विधायक व विधानमंडल नेता उमाशंकर सिंह ने दीदारगंज क्षेत्र में जिस तरह से शक्ति प्रदर्शन किया उससे साफ है कि बसपा यहां पूरी ताकत दिखाने के लिए तैयार है।
लेकिन यहां बसपा की चुनौतियां कम नहीं है। हाल ही में सुखदेव राजभर का निधन हुआ है और सपा उन्हीं के पुत्र कमलाकांत पर दाव लगाने की तैयारी कर रही है। कभी सुखदेव बसपा के सबसे कद्दावर नेता माने जाते थे। ऐसे में बसपा के वोट बैंक में भी उनकी पैठ है। दूसरी तरफ कमलाकांत के साथ मतदाताओं की सहानुभूति भी होगी जो बसपा की चुनौतियां बढ़ाएंगी। पिछले चुनाव में बीजेपी ने भी यहां अच्छा प्रदर्शन किया था। ऐसे में पार्टी चाहेगी कि वह यहां जीत हासिल करे।