कृषि विज्ञान केंद्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. आरपी सिंह का कहना है कि 25 से 30 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवा की दिशा में उड़ने वाला टिड्डा रात में हमला करता है। एक टिड्डा दल आठ से दस घंटे में करीब सौ किमी का सफर करता है। एक बार भोजन के बाद जब सौ किमी उड़ता है और फिर भूख लगते ही वहां के क्षेत्र में पड़ने वाली फसल को चट कर जाता है। टिड्डा दल रात में पेड़ और फसलों पर ही बैठता है और फिर सूर्य की पहली किरण निकलते ही फिर उड़ान भरता है। वह पूर्वांचल में भारी तबाही मचा सकता है। टिड्डों का हमला होने पर कुछ उपाय कर किसान अपनी फसल को बचा सकते हैं।
टिड्डे आते हैं तो क्या करें किसान-
-अपने खेतों में आग जलाकर पटाखे फोड़कर, थाली बजाकर, ढोल नगाड़े बजाकर आवाज करें जिससे टिड्डों का दल आपके खेत में न बैठने पाए।
-कीटनाशक रसायनों जैसे क्लोरपीरिफॉस, लिंडा इत्यादि कीटनाशकों का टिड्डी दल के ऊपर छिड़काव करें।
-यह टिड्डा दल शाम को 6 से 7 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8 बजे के करीब उड़ान भरता है अतः इसी अवधि में इनके ऊपर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है।
-क्षेत्र में टिड्डों को देखते ही प्रशासन अथवा कृषि विभाग के अधिकारियों को सूचित करें।