आजमगढ़

BJP सांसद के एफिडेविट से खुला राज, 5 साल में इतनी गुना बढ़ी सम्पत्ति, आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हुआ

पांच साल में एक आपराधिक मुकदमा भी हो गया, 2014 में रिकॉर्ड बिल्कुल क्लीन था।

आजमगढ़Apr 21, 2019 / 10:50 pm

रफतउद्दीन फरीद

नीलम सोनकर

आजमगढ़. 2019 के लोकसभा चुनाव में दोबारा किस्मत आजमा रहे कई सांसदों की सम्पत्ति पिछले पांच साल में खूब बढ़ी है। आजमगढ़ जिले की लालगंज लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी नीलम सोनकर भी इन्हीं में से एक हैं। नीलम सोनकर की सम्पत्ति 2014 से 2019 के बीच तीनगुना बढ़ गयी है। जहां 2014 के चुनाव में दिये एफिडेविट के मुताबिक उनकी कुल सम्पत्ति 1 करोड़ 15 लाख 55 हजार 274 रुपये थी वहीं 2019 आते-आते उनकी सम्पत्ति तीनगुना बढ़कर 3 करोड़ 52 लाख 42 हजार 687 रुपये पहुंच गयी है। इसकी जानकारी सांसद महोदया ने चुनाव आयोग को दिये अपने एफिडेविट में दिया है। पांच साल पहले जहां उनके खिलाफ कोई मुकदमा नहीं था। वहीं सांसद रहते उन पर एक आपराधिक मुकदमा भी लम्बित हो गया है। हालांकि अब भी इनके खिलाफ कोई ऐसा मामला नहीं है, जिसमें अपराध सिद्ध हुआ हो।
 

 

नीलम सोनकर ही वह सांसद हैं जिन्होंने लालगंज लोकसभा सीट पर भाजपा का खाता खोला। उन्होंने 2014 की मोदी लहर में लालगंज लोकसभा सीट से 3,24,016 वोट पाकर बसपा के बेचई सरोज को करीब 64 हजार वोटों से हराया था। भाजपा ने इस बार भी नीलम सोनकर पर ही दांव लगाया है। शनिवार को नीलम ने नामांकन में चुनाव आयोग को जो एफिडेविट दिया उसके मुताबिक जहां 2014 में उनके पास 1,15,55,274 रुपये सम्पत्ति थी, जो 2019 में बढ़कर 3,52,42,687 रुपये पहुंच चुकी है। नीलम सोनकर के शपथ पत्र के मुताबिक 2017-18 में आयकर विवरण के अनुसार कुल दर्शित आय 6,87,500 रुपये और उनके पति की 24,60,032 रुपये है। जंगम अस्तियां कॉलम के मुताबिक उनके पास स्वयं की संपत्ति 60,55,187.87 रूपये, उनके पति की 16,30,684.13 रूपये है।
 

उनके प्रथम आश्रित की जंगम आस्तियॉ 500 रूपये तथा दूसरे आश्रित की 2,000 रूपये है। स्थावर आस्तियॉ के अन्तर्गत खुद अर्जित की गयी आस्तियों की कुल अनुमानित बाजार कीमत 2,85,00,000 रूपये है, जबकि पति की स्वार्जित आस्तियों की कुल अनुमानित बाजार कीमत 1,05,00,000 रूपये है। इनके उपर बैंक, वित्तीय संस्थाओं और अन्य से कुल ऋण 17,50,000 रूपये व पति पर 28,00,000 रूपये है। नीलम सोनकर गोरखपुर विश्वविद्यालय से सनातकोत्तर (राजनीति शास्त्र) हैं। इनके प्रस्तावक प्रेम नारायण, नरेन्द्र, विनोद कुमार राय व संचिता श्री थे।
By Ran Vijay Singh

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