मुकदमे के अनुसार वादी मुकदमा राम नयन सिंह पुत्र राम बहोर सिंह निवासी उर्दिहा नई बस्ती कोलवा थाना रौनापार के भाई संतराज को सरकारी गल्ले की दुकान आवंटित हुई थी। इससे पहले यह दुकान सपा के पूर्व विधायक अभय नरायन पटेल को आवंटित थी। इस बात से गांव के ही रहने वाले पूर्व विधायक अभय नारायण सिंह पटेल पुत्र दिलीप सिंह संतराज से रंजिश रखते थे। इसी रंजिश की वजह से 22 अक्टूबर 1998 की शाम लगभग 7 बजे जब संतराज चांदपट्टी से घर आ रहा था। उसी समय रास्ते में अभय नारायण सिंह पुत्र दिलीप सिंह, लाल बिहारी सिंह, लाल बहादुर सिंह पुत्रगण कोदई सिंह, हरेंद्र पुत्र लालू ने संतराज को रोक लिया और संतराज गोली मार दी।
संतराज की गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई। इस मामले में राम नयन सिंह ने रौनापार थाने में आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद अभय नरायन सिंह पटेल का नाम निकालते हुए तीन आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित कर दिया। दौरान मुकदमा वादी राम नयन के बयान पर अदालत ने 2001 में अभय नारायण सिंह पटेल को बतौर आरोपी न्यायालय में तलब किया। अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता दीपक मिश्रा ने वादी मुकदमा समेत पांच गवाहों को न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी अभय नारायण सिंह पटेल, लाल बहादुर, लाल बिहारी तथा हरेंद्र को आजीवन कारावास तथा प्रत्येक को बीस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।