आजमगढ़

ईशदत्त से प्रभावित होकर आजमगढ़ पहुंचे थे मुलायम, जिले को बनाया था कर्मक्षेत्र

समाजवादी पार्टी के संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव पूर्व सांसद ईशदत्त से प्रभावित होकर आजमगढ़ पहली बार आए थे। फिर वे कभी इस जिले से दूर नहीं रहे। वर्ष 2014 में यहां से वे सांसद चुने गए। मुलायम के निधन से पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई है।

आजमगढ़Oct 10, 2022 / 11:09 am

Ranvijay Singh

पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. समाजवादी पार्टी के संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार की स 8.15 बजे मेदांता में अंतिम सांस ली। मुलामय सिंह ने निधन से जिले में शोक लहर दौड़ गई है। लोगों के दिल में एक विकास पुरुष के जाने का दुख साफ झलक रहा है। पार्टी के लोग कार्यालय पर शोकसभा की तैयारी में जुटे हुए है। जिले के लोगों ने एक ऐसा नेता खो दिया है जिसे इस जिले से गहरा लगाव था। एक दौर में मुलामय सिंह यादव पूर्व सांसद ईशदत्त यादव से प्रभावित होकर आजमगढ़ आए थे लेकिन यह जिला उनके दिल में बस गया। मुलायम सिंह ने इसे अपना कर्मक्षेत्र बनाया और वर्ष 2014 में यहां से सांसद चुने गए।

बता दें कि मुलामय सिंह यादव को हालत बिगड़ने के बाद 22 अगस्त को मेदांता में भर्ती कराया गया था। 2 अक्टूबर से वह वेंटिलेटर पर थे। सोमवार की सुबह 8.15 बजे उनका निधन हो गया। निधन की जानकारी होने के बाद उनके संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में मातम पसर गया है। निधन की जानकारी होने के बाद पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी पार्टी कार्यालय पर पहुंच गए। लोग अपने अपने ढंग से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे है। बड़ी संख्या में लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए उनके पैतृक गांव जाने की तैयारी कर रहे है।

कम ही लोग जानते हैं कि जनता पार्टी की सरकार में सहकारिता मंत्री रहे मुलायम सिंह ने ईशदत्त यादव से प्रभावित होकर आजमगढ़ पहुंचे थे। उस समय ईशदत्त यादव लालगंज क्षेत्र से विधायक थे। सदन में उनकी किसी बात पर नेताजी प्रभावित हो गए थे। बाद में लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष बने और सूबे का भ्रमण शुरू किया, तो आजमगढ़ आना नहीं भूले। जिले में पहुंचे मुलालय सिंह ईशदत्त के सिधारी स्थित आवास भी गए थे। उसके बाद जिले में आना-जाना शुरू हुआ, तो वह हमेशा बना रहा।

वर्ष 1987-88 में बेनी प्रसाद वर्मा के साथ क्रांति रथ यात्रा निकाली। आजमगढ़ पहुंचने पर जगह-जगह जोरदार स्वागत ने उन्हें प्रभावित कर दिया था। ईशदत्त ने नेता जी को यहां के नेताओं से मिलवाया और संगठन यहां भी मजबूत होता गया। आगे चलकर जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के मुख्यी बने, तो भी आजमगढ़ को नहीं छोड़ा। मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह ने आजमगढ़ के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी। सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल, विकास भवन से लगायत महिला अस्पताल तक मुलायम सिंह के ही कार्यकाल में बना।

पूर्व मंत्री राम आसरे विश्वकर्मा व पूर्व मंत्री डा. रामदुलार राजभर बताते हैं कि लालकृष्ण आडवाणी ने जब देश में राम रथयात्रा निकाली तो मुलायम सिंह उन्हें रोकना चाहते थे, लेकिन ऊपर से मना करने के कारण उन्होंने राष्ट्रीय एकीकरण की मीटिंग में भी यह मुद्दा उठाया। इस विषय पर नरसिंहा राव और तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा से भी मिले थे। जनता दल से मतभेद हुआ तो मुलायम सिंह सजपा में चले गए। संघर्ष को राजनीति मानने वाले मुलायम ने जब देखा कि जनता के मुद्दे पर सड़क पर संघर्ष नहीं हो पा रहा है, तो 1992 में उससे अलग होकर समाजवादी पार्टी का गठन किया। बसपा से गठबंधन हुआ तब तक वह आजमगढ़ को समझ चुके थे और पहली संयुक्त चेतना रैली के लिए यहां के जजी मैदान को चुना। स्थिति ऐसी बनी पूर्वांचल में बाकी दलों का सूपड़ा साफ हो गया था। वर्ष 2014 में मुलायम सिंह यादव यहां से लोकसभा चुनाव लड़े और सांसद चुने गए। सांसद रहते हुए उन्होंने इन जिले को आधुनिक चीनी मिल का तोहफा दिया।

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