गौर करें तो वर्ष 2008 में वे बीजेपी में आये और 2009 में इसी पार्टी के टिकट पर आजमगढ़ से सांसद चुने गए। उस बीजेपी सत्ता से बाहर थी तो सांसद को कोई खतरा नहीं दिखा लेकिन वर्ष 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद उन्हें पाकिस्तान की आईएसआई से धमकी मिलने लगी थी लेकिन जब उन्हें गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सुरक्षा नहीं दी तो वे अपनी ही सरकार और उसके गृहमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिये थे। वर्ष 2016 में उन्हें जैसे वाई श्रेणी सुरक्षा मिली राजनाथ सिंह भी अच्छे हो गए और खतरा भी टल गया था।
यह वहीं रमाकांत यादव है जिनका नाम गेस्ट हाउस कांड में आया फिर अखिलेश के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम के काफिले के सामने मुलायम सिंह वापस जाओ लाठी लेकर भैस चराओ का नारा लगवाया था। अब रमाकांत यादव एक बार फिर सपा में हैं। उनकी वाई श्रेणी सुरक्षा हटे एक साल हो चुका है। अब पूर्व सांसद को योगी सरकार उनकी पुलिस और पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के बदमाशों से डर लग रहा है। पूर्व सांसद का दावा है कि वाराणसी और गाजीपुर के बदमाश उनके घर के मोड़ से लेकर मोहल्ले तक एके-47 लेकर घूम रहे हैं। उनका कहना है कि पुलिस की एसओजी और बदमाश उनपर हमला कर सकते है लेकिन इस संबंध में कोई शिकायत उन्होंने दर्ज नहीं करायी है।
पुलिस अधीक्षक प्रो. त्रिवेणी सिंह का कहना है कि सांसद ने सुरक्षा मांगी थी। उसके बाद इंटेलीजेट व एलआईयू से जांच करायी गयी लेकिन रिर्पोट में साफ है कि सांसद को किसी से कोई खतरा नहीं है। उनके परिवार में सिर्फ आजमगढ़ से 18 शस्त्र लाइसेंस है। कुछ शस्त्र लाइसेंस दूसरे जिलों से लिए गए है उनकी जांच करायी जा रही है। हां अगर उन्होंने स्वचालित असलहों से लैस बदमाशों को देखा है तो उन्हें सीओ या मुझसे बताना चाहिए था। यहीं नहीं जिस पुलिसकर्मी से उन्हें खतरा है उसका नाम बताये उसके खिलाफ कार्रवाई होगी लेकिन सांसद सिर्फ मीडिया में बोल रहे।
वहीं दूसरी तरफ विरोधी इसे चर्चा में आने का पैतरा बता रहे हैं। भाजपा के पूर्व महामंत्री ब्रजेश यादव का कहना है कि पूर्व सांसद इस उम्मीद से सपा में शामिल हुए कि उनको पार्टी में बड़ी हैसियत वाली कुर्सी मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिले में संगठन में उनके विरोधी हाबी है। यहां उनकी कोई पूछ नहीं है। हाल में वाराणसी में सपा के लोगों ने ही सांसद पर पथराव किया इससे उनका भविष्य खतरे में दिख रहा है। इसलिए चर्चा में आने के लिए वे मीडिया के सामने इस तरह की पैतरेबाजी कर रहे हैं। आखिर जब ये पार्टी बदलते हैं तभी इनकी सुरक्षा को खतरा क्यों उत्पन्न होता है। सबसे बड़ी बात है कि पूर्व सांसद और उनके लोगों नेे अगर बदमाशों को स्वचालित हथियार के साथ देखा भी तो यह कैसे पहचान गए कि वे वाराणसी और गाजीपुर के है।
बहरहाल हकीकत जो भी हो लेकिन पूर्व सांसद एक बार फिर चर्चा में हैं यह अलग बात है कि इस बार भी वजह सुरक्षा ही है। उन्होंने खुद को निजी गनरों की सुरक्षा में कैद कर लिया है। आवास के गेट से लेकर सांसद के कमरे तक कड़ा पहरा है और हर आने जाने वाले की दो से तीन बार तलाशी के बाद ही पूर्व सांसद से मिलने दिया जा रहा है।
By Ran Vijay Singh