आजमगढ़. एक तरफ जहां पूरा शासन-प्रशासन वोटरों को जागरुक बनाने और मतदान करने के लिए प्रेरित करने में लगा हुआ है। वहीं, जिले के युवाओं व प्रबुद्धवर्ग द्वारा विश्वविद्यालय की मांग को लेकर एक वर्ष से चलाए जा रहे विश्वविद्यालय अभियान पर पूरी तरह उदासीन और उपेक्षात्मक रवैया अपनाए हुए हैं। ऐसे में केवल मतदाताओं को जागरुक बनाकर ही पूरी व्यवस्था सुधारी जा सकती है। शासन-प्रशासन और राजनीतिक दल स्वयं को जनउत्तरदायी और संवेदनशील बनाने पर भी चिंतन करेंगे। विश्वविद्यालय अभियान के एक वर्ष पूरे होने पर रविवार को समाजसेवी रामसकल पटेल रौनापार के आवास पर आयोजित बैठक में कही। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार व डीएवी पीजी कालेज के प्रबंधक डा. श्रीनाथ सहाय ने कहा कि जनपद में विश्वविद्यालय होने के सभी आधार मौजूद है। यहां लगभग 200 महाविद्यालय हैं और पुराना मंडल मुख्यालय है। विश्वविद्यालय होने से जनपद का कायाकल्प हो जाएगा। दंत चिकित्सक डा. आरके सिंह ने कहा कि एक वर्ष से विश्वविद्यालय की मांग हो रही है। किन्तु शासन-प्रशासन के लोग इस मांग को नगरअंदाज कर रहे हैं। यह अभियान विश्वविद्यालय की स्थापना तक जारी होगा। विश्वविद्यालय अभियान के संयोजक डा. सुजीत श्रीवास्तव ने कहा कि 24 जनवरी 2015 को बसंत पंचमी के अवसर पर विश्वविद्यालय अभियान शुरू हुआ। छह फरवरी को मुलायम सिंह यादव की सठियांव की जनसभा में घोषणा की जाने वाली 35 घोषणाओं में 24वें नंबर पर जनपद में विश्वविद्यालय की स्थापना का विंदु अंकित था किन्तु सात फरवरी को कैबिनेट मंत्री बलराम यादव ने कहा कि जमीन मिलने पर विश्वविद्यालय की घोषणा होगी। वहीं, जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने जमीनों की पैमाइश भी करा ली किन्तु पांच माह के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। शासन की उदासीनता से जनपदवासियों में क्षोभ व्याप्त है। इस अवसर पर डा. शिवानंद यादव, डा. एमयू खान, प्रमोद सोनकर, इसरार अहमद, वीरेन्द्र यादव, दीपक यादव, डा. आलोक वर्मा आदि थे।