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“किसी का संस्कार बिगड़ जाए तो क्या करें”
सांसद ने कहा कि जिसके माता-पिता हिंदू हैं, उसने हिंदू के घर जन्म लिया। उसका संस्कार सनातनी है। वह ऐसा नहीं बोल सकता है। अगर किसी का संस्कार ही बिगड़ जाए तो हम क्या कहेंगे। बस यही कहा जा सकता है कि हिंदू धर्म से एलर्जी है तो इस्लाम कुबूल कर लीजिए।
“स्वार्थ में धर्म को मुद्दा बनाना शुद्ध राजनीति”
रवींद्र कुशवाहा ने कहा कि रामचरितमानस को लेकर वह जो बोल रहे हैं यही उनका संस्कार हैं। पांच साल बीजेपी की सरकार में मंत्री थे तब उन्हें नहीं लगा बीजेपी सांप्रदायिक है। बीजेपी सनातन संस्कृति को मानने वाली पार्टी है। वह रामायण, गीता, पुराण सभी धर्म ग्रंथों पर पवित्र मानती है।
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स्वामी जब तक सत्ता में हैं तब तक उसके खिलाफ नहीं बोलेंगे। कुर्सी जाते ही उनकी राजनीति शुरू हो जाती है। स्वार्थ के लिए धर्म को मुद्दा बनाना शुद्ध राजनीति है। स्वामी से इससे ज्यादा अपेक्षा भी नहीं की जा सकती है।
बेटी से भी त्याग पत्र मांग लें स्वामी प्रसाद
सांसद ने कहा कि बीजेपी सांप्रदायिक है तो उनकी बेटी उसमें क्या कर रही हैं। बेटी बीजेपी से सांसद हैं। स्वामी प्रसाद को सबसे पहले बेटी से कहना चाहिए कि त्यागपत्र दें। आखिर वे एक सांप्रदायिक पार्टी में कैसे रह सकती हैं।
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बीजेपी से टिकट लेते समय संघमित्रा को भी नहीं रहा होगा पता
उन्होंने कहा कि जब स्वामी प्रसाद की बेटी संघमित्रा ने बीजेपी से टिकट लिया और सांसद बनी तब शायद उन्हें भी पता नहीं रहा होगा कि बीजेपी सांप्रदायिक है। बीजेपी राम और कृष्णा को मानने वाली धार्मिक पार्टी है। आज अगर खराबी नजर आ रही है नैतिकता के आधार पर उन्हें भी पार्टी छोड़ देनी चाहिए।