बता दें कि, रमाकांत यादव व्यवसायिक कारणों से बीजेपी में अलग-थलग पड़ चुके हैं।
राजनाथ सिंह और सीएम योगी आदित्य
नाथ ? पर हमले के बाद रमाकांत यादव की मुसीबत और बढ़ गई है। सूत्रों की माने तो रमाकांत यादव को ठेकों के साथ ही सुरक्षा भी छिनने का खतरा सता रहा है। यहीं वजह है कि, वे पिछड़ों और दलितों की उपेक्षा के बहाने सरकार पर दबाव बनाने के लिए लगातार हमले कर रहे हैं। बीजेपी उनके हमलों को लगातार नजरअंदाज कर रही है। इससे उनकी खीझ बढ़ गयी है। हाल में अवैध खनन के मामले में रमाकांत यादव का वाहन सीज हुआ तो विवाद और बढ़ गया है। रमाकांत अपने आपकों बीजेपी में बिल्कुल अकेला पा रहे हैं, लेकिन उनके पास बहुत अधिक विकल्प भी नहीं है।
सपा में स्थानीय कई नेताओं से उनका छत्तीस का आंकड़ा है। चर्चा थी कि, पिछले दिनों जिला पंचायत उपचुनाव के दौरान सपा का साथ देकर रमाकांत यादव ने सपा में अपनी वापसी का मार्ग प्रशस्त करने का प्रयास किया था लेकिन बात नहीं बनी थी।
अब मुलायम सिंह द्वारा आजमगढ़ से चुनाव न लड़ने की घोषणा के बाद सपा को भी ऐसे नेता की तलाश है जो रमाकांत यादव को टक्कर दे सके लेकिन, वर्तमान में उसके पास ऐसा कोई नेता नहीं है। इसलिए पार्टी का रूख रमाकांत के प्रति लचीला हुआ है और वह रमाकांत को ही पार्टी में लेकर भाजपा को झटका देने का मन बना चुकी है। अपने पैतृक गांव मंजीरपट्टी आये महाराष्ट्र प्रांत के अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने इसका प्रयास भी शुरू कर दिया है। रविवार को रमाकांत के खास लोगों के साथ अबू आसिम आजमी ने करीब तीन घंटे मीटिंग की।
इस दौरान एक ही बात पर चर्चा हुई कि, रमाकांत यादव को सपा में कैसे शामिल किया जाय। इस दौरान अबू आसिम ने बताया कि, आजमगढ़ की एक सीट भाजपा ने जो जीती है, वह पूर्व सांसद की ही देन है वरना भाजपा का खाता भी नहीं खुलता। वे भाजपा में रहते हुए भी सेक्युलर की बात करते हैं।
इसलिए पार्टी के राष्ट्रीय
अखिलेश यादव से बात कर उन्हें सपा में शामिल किया जाएगा। अबू आसिम आजमी ने कहा कि भाजपा सरकार में मुस्लिम, पिछड़े व अति पिछड़े लोगों का नुकसान हुआ है। वह सिर्फ पूंजीपतियों की सरकार है। यह पूछे जाने पर कि. क्या रमाकांत यादव भाजपा छोड़ चुके हैं, तो उन्हें समाजवादी पार्टी में शामिल करने की बात हो रही है। इस पर उन्होंने कहा कि छोड़े नहीं हैं लेकिन मैं उनके दिल की बात समझता हूं। वे भाजपा में घुटन महसूस कर रहे हैं। क्योंकि सेकुलर व्यक्ति हैं। हम नेताजी से बात करेंगे कि पूर्व सांसद को समाजवादी पार्टी में शामिल कर लें।
इस मामले में रमाकांत यादव कहते हैं कि, अबू आसिम आजमी और मैं एक दूसरे के शुभचिंतक हैं। दोनों लोग दलगत राजनीति से हटकर बात करते रहते हैं। उन्होंने सपा में शामिल होने के संबंध में मेरे बारे में क्या कहा, यह तो मैं नहीं जानता लेकिन यदि उन्होंने कुछ ऐसा कहा है तो वे मेरे बारे में अच्छा ही सोचेंगे।
रमाकांत के इस गोलमोल जवाब को उनकी मौन सहमति के रूप दे देखा जा रहा है कारण कि, रमाकांत यादव अब तक यही कहते रहे हैं कि, वे क्या उनकी लाश भी सपा में नहीं जाएगी, वे बीजेपी के साथ हैं। उनके लिए पार्टी नहीं पिछड़ों और दलितों का हित सर्वोपरि है। जिसके लिए वे लड़ते रहेंगे लेकिन, इस बार रमाकांत यादव ने बात को टालने का प्रयास किया। ऐसे में चर्चा को और बल मिल रहा है। सपा सूत्रों की मानें तो रमाकांत यादव अप्रैल के प्रथम सप्ताह में सपा का दामन थाम सकते हैं।