अभी भी बटला हाउस में छिपे आधा दर्जन आतंकी हैं फरार
मुठभेड़ के दौरान बटला हाउस में छिपे कुछ आतंकी मौके से भागने में सफल रहे। इसमें नौ आतंकी आजमगढ़ से ताल्लुक रखते थे जिसमें तीन को खुफिया एजेंसिया गिरफ्तार कर चुकी है जबकि आधा दर्जन आतंकी अब भी फरार है। सभी आतंकियों पर ईनाम घोषित है। खुफिया एजेंसियां लगातार इनकी तलाश कर रही है। फरार आतंकियों की चार्जशीट खोली जा चुकी है। इस घटना में मारे गए और वांछित आतंकियों को निर्दोष बताते हुए मौलाना आमिर रशादी ने 2008 में संघर्ष शुरू किया। इसी दौरान उन्होंने उलेमा कौंसिल का गठन किया। तब से यह संगठन आतंकियों के न्याय की लड़ाई लड़ रहा है। इस मुद्दे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, सपा के पूर्व मुखिया मुलायम सिंह यादव, सहित तमाम लोगों ने सियासत की लेकिन उलेमा कौंसिल आज भी एनकाउंटर को फर्जी बताकर संघर्ष कर ही है। हर साल बटला एनकाउंटर की बरसी पर उलेमा कौंसिल के लोग दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन करते हैं।
मुठभेड़ के दौरान बटला हाउस में छिपे कुछ आतंकी मौके से भागने में सफल रहे। इसमें नौ आतंकी आजमगढ़ से ताल्लुक रखते थे जिसमें तीन को खुफिया एजेंसिया गिरफ्तार कर चुकी है जबकि आधा दर्जन आतंकी अब भी फरार है। सभी आतंकियों पर ईनाम घोषित है। खुफिया एजेंसियां लगातार इनकी तलाश कर रही है। फरार आतंकियों की चार्जशीट खोली जा चुकी है। इस घटना में मारे गए और वांछित आतंकियों को निर्दोष बताते हुए मौलाना आमिर रशादी ने 2008 में संघर्ष शुरू किया। इसी दौरान उन्होंने उलेमा कौंसिल का गठन किया। तब से यह संगठन आतंकियों के न्याय की लड़ाई लड़ रहा है। इस मुद्दे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, सपा के पूर्व मुखिया मुलायम सिंह यादव, सहित तमाम लोगों ने सियासत की लेकिन उलेमा कौंसिल आज भी एनकाउंटर को फर्जी बताकर संघर्ष कर ही है। हर साल बटला एनकाउंटर की बरसी पर उलेमा कौंसिल के लोग दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन करते हैं।
बटला हाउस एनकाउंटर से पहले पांच अलग -अलग जगह हुए थे सीरियल ब्लास्ट
अब भी बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद क्या हुआ था। बाटला हाउस में एनकाउंटर 19 सितंबर 2008 की सुबह हुआ था। लेकिन उससे ठीक एक हफ्ता पहले 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में पांच अलग-अलग जगह पर सीरियल ब्लास्ट हुए थे। दो बम कनॉट प्लेस में फटे थे। दो ग्रेटर कैलाश के एम ब्लॉक में और एक बहुत भीड़-भाड़ वाली जगह करोल बाग के गफ्फार मार्केट में, जहां इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स ज्यादातर बिकते हैं। उस दिन अलग-अलग पांच धमाके हुए थे. इनके अलावा पुलिस ने तीन बम और बरामद किए थे। जिन्हें डिफ्यूज कर दिया गया था। उन पांचों धमाकों में करीब 30 लोग मारे गए थे। ये धमाके करीब-करीब 50 मिनट के अंदर हुए थे।
अब भी बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद क्या हुआ था। बाटला हाउस में एनकाउंटर 19 सितंबर 2008 की सुबह हुआ था। लेकिन उससे ठीक एक हफ्ता पहले 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में पांच अलग-अलग जगह पर सीरियल ब्लास्ट हुए थे। दो बम कनॉट प्लेस में फटे थे। दो ग्रेटर कैलाश के एम ब्लॉक में और एक बहुत भीड़-भाड़ वाली जगह करोल बाग के गफ्फार मार्केट में, जहां इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स ज्यादातर बिकते हैं। उस दिन अलग-अलग पांच धमाके हुए थे. इनके अलावा पुलिस ने तीन बम और बरामद किए थे। जिन्हें डिफ्यूज कर दिया गया था। उन पांचों धमाकों में करीब 30 लोग मारे गए थे। ये धमाके करीब-करीब 50 मिनट के अंदर हुए थे।
21 सितम्बर को पुलिस ने 14 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें एल-18 मकान की देखभाल करने वाला भी शामिल था। गिरफ्तारियां दिल्ली और उत्तर प्रदेश से की गई थीं। इस दौरान मानवाधिकार संगठनों ने बाटला हाउस एन्काउंटर को फेक बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कहा कि इसकी न्यायिक जांच की जाए. इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जांच कर दो महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा था। 22 जुलाई 2009 में जांच के बाद एनएचआरसी ने बाटला हाउस एनकाउंटर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर दी और दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट दी थी। 26 अगस्त 2009 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बाटला हाउस एनकाउंटर की न्यायिक जांच से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने आयोग की रिपोर्ट को ही सही माना था। 30 अक्टूबर 2009 को कुछ लोगों ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी सारे पहलुओं को जानने के बाद न्यायिक जांच से मना कर दिया था। 19 सितंबर, 2010 इस दिन बाटला हाउस एनकाउंटर के दो साल पूरे हुए थे।