11 नवंबर 1985 को हुई थी घटना
मुकदमें के अनुसार वादी मुकदमा रमेश पांडेय पुत्र रघुनाथ पांडेय तरवां थाना क्षेत्र के जियापुर गांव के रहने वाले हैं। उनके गांव में 11 नवंबर 1985 को सुबह 10 बजे सड़क बन रही थी। सड़क का निर्माण रमेश की साझे की जमीन पर हो रहा था।
यह भी पढ़ेंः
पति के साथ मिलकर महिला चलाती थी घर में सेक्स रैकेट, पुलिस ने पकड़ा तो हुआ बड़ा खुलासा
सड़क निर्माण को गांव के रमापति उर्फ नन्हकू पुत्र केदार ने रोक दिया। इसी बात को लेकर विवाद बढ़ गया। रमापति, रामप्यारे, चंद्रभूषण, राजेंद्र ,रामधनी ,रामलाल, ओमप्रकाश, एक नाबालिग, श्यामा, बिंदु और द्रोपदी ने रमेश पर हमला कर दिया। हमले में रमेश के भाई भी गंभीररूप से घायल हो गए।
यह भी पढ़ेंः
पुलिस ने कोर्ट में दाखिल की चार्जशीट
रमेश ने आरोपियों के खिलाफ तरवां थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की। मुकदमे के दौरान ही आरोपी रमापति, राजेंद्र और द्रोपदी की मौत हो गई।
यह भी पढ़ेंः
शिवपाल ने तोड़ी चुप्पी, कहा स्वामी प्रसाद का बयान निजी, पार्टी से मतलब नहीं
7 गवाहों ने दी गवाही
अभियोजन पक्ष की तरफ से शासकीय अधिवक्ता विक्रम सिंह पटेल ने कुल सात गवाहों को न्यायालय में पेश किया। गवाहों के बयान और दोनों पक्षों की दलीलों के बाद रामप्यारे पर गंभीर आरोप साबित हुआ। अन्य आरोपी मामूली मारपीट के दोषी पाए गए।
यह भी पढ़ेंः
आप का सरकार के खिलाफ हल्लाबोल, कहा दावा था फ्री बिजली का अब काट रहे जेब
अपर सत्र न्यायाधीश ने सुनाया फैसला
अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर-7 रमेश चंद ने रामप्यारे को दस वर्ष के कठोर कारावास और 12.30 हजार रुपए जुर्माना लगाया। आरोपी चंद्रभूषण, रामधनी, ओम प्रकाश और रामलाल को मामूली मारपीट का दोषी पाते हुए उन्हें छह महीने के प्रोबेशन पर रिहा करने का आदेश दिया। पर्याप्त सुबूत के अभाव में आरोपी श्यामा देवी और बिंदु को दोषमुक्त कर दिया।