बता दें कि पिछले दिनों हुए निकाय एमएलसी चुनाव में बीजेपी ने रमाकांत यादव के पुत्र अरूणकांत यादव को मैदान में उतारा था। चुनाव में बाजी निर्दल विक्रांत सिंह के हाथ लगी थी लेकिन सपा की पहली बार जमानत जब्त हो गई थी। वहीं पिछले दिनों आजमगढ़ संसदीय सीट पर हुए लोकसभा उपचुनाव में अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा था जबकि बीजेपी से दिनेश लाल यादव निरहुआ मैदान में थे। उपचुनाव में बीजेपी यादव बाहुल्य क्षेत्रों में भी वोट हासिल करने में सफल रही जिसका परिणाम रहा कि सपा को हार का सामना करना पड़ा, लगातार दो हार के बाद पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में सपा मुखिया की मुसीबत बढ़ी है। वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होना है। ऐसे में अखिलेश यादव का यह दौरा अपने वोट बैंक को साधने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
अखिलेश यादव के आने से कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से इटौरा स्थित जेल आते समय रास्ते में सेहदा के पास पूर्व मंत्री चंद्रदेव राम यादव करैली के नेतृत्व में उनका जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान अखिलेश यादव ने भी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव के इस दौरे से उनके वोट बैंक में बिखराव रुकेगा। कारण कि बीजेपी ने जिस तरह से उपचुनाव में सेंध लगाई है उससे सपा की चुनौती काफी बढ़ गई है। उपचुनाव में बीजेपी को मात्र आठ हजार मतों से जीत मिली थी।
इसके पीछे एक बड़ा कारण सपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रामकिशुन निषाद, प्रसपा के प्रदेश महासचिव पूर्व विधायक राम दर्शन यादव, प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक सिंह आंसू का बीजेपी में शामिल होना तथा रमाकांत सहित सपा के कई बड़े नेताओं का चुनाव में रूचि न लेना माना जा रहा है। चुनाव में अखिलेश के सबसे अधिक झटका यादव बाहुल्य गांवों में ही लगा था। यहां तक कि मुलायम सिंह यादव द्वारा गोद लिए जा चुके गांव में जहां बीजेपी मुश्किल से दहाई के अंक में पहुंचती थी वहां पार्टी ने डेढ़ सौ से अधिक मत हासिल किया था।