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अयोध्या ( Ayodhya ) जनपद के मसौधा ब्लाक ( Masaudha Block ) के गोपालपुर बिछिया गांव के रहने वाले मनोज ने बताया कि डेढ़ माह पूर्व शारदा सहायक नहर कट जाने से फसले तो जल मग्न तो हुई ही थी। झील पर बने जर्जर पुलिया भी बह गई थी। डेढ़ माह बाद भी जब इस पुलिया का निर्माण नहीं हुआ तो तो ग्रामीणों ने 4-5 के गांव लोगों को इकट्ठा कर तीन तीन सौ रुपये चंदा लगाकर लकड़ी इकट्ठा करवाई और फिर खुद की मेहनत से झील पर लकड़ी की पुलिया बना डाली।
अयोध्या ( Ayodhya ) जनपद के मसौधा ब्लाक ( Masaudha Block ) के गोपालपुर बिछिया गांव के रहने वाले मनोज ने बताया कि डेढ़ माह पूर्व शारदा सहायक नहर कट जाने से फसले तो जल मग्न तो हुई ही थी। झील पर बने जर्जर पुलिया भी बह गई थी। डेढ़ माह बाद भी जब इस पुलिया का निर्माण नहीं हुआ तो तो ग्रामीणों ने 4-5 के गांव लोगों को इकट्ठा कर तीन तीन सौ रुपये चंदा लगाकर लकड़ी इकट्ठा करवाई और फिर खुद की मेहनत से झील पर लकड़ी की पुलिया बना डाली।
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सरकार ( UP Government ) भले ही विकास का ढोल पीट रही हूं लेकिन इस गांव की पुलिया बनाने के लिए कोशिश तो दूर जनप्रतिनिधि व अधिकारी गांव तक ग्रामीणों का हाल-चाल पूछे तक नहीं गए। गाँव के रहने वाले गौतम यादv ने बताया कि शासन प्रशासन से निराश ग्रामीणों ने खुद ही भागीरथ की भूमिका निभाई और बना डाली लकड़ी की पुलिया। इस लकड़ी की पुलिया से ग्रामीण ब उनके बच्चे जान जोखिम में डालकर गुजर रहे हैं। अगर इस पुलिया ग्रामीण इस्तेमाल ना करें तो लगभग 2 किलोमीटर घूमकर ग्रामीणों को अपने गंतव्य तक जाना पड़ता था। पानी में लकड़ी का पिलर कितने दिन रह पाएगा यह भी सोचने की बात है लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि उस गांव में जाकर ग्रामीणों की हालचाल लेने की भी जहमत नहीं उठाई।
सरकार ( UP Government ) भले ही विकास का ढोल पीट रही हूं लेकिन इस गांव की पुलिया बनाने के लिए कोशिश तो दूर जनप्रतिनिधि व अधिकारी गांव तक ग्रामीणों का हाल-चाल पूछे तक नहीं गए। गाँव के रहने वाले गौतम यादv ने बताया कि शासन प्रशासन से निराश ग्रामीणों ने खुद ही भागीरथ की भूमिका निभाई और बना डाली लकड़ी की पुलिया। इस लकड़ी की पुलिया से ग्रामीण ब उनके बच्चे जान जोखिम में डालकर गुजर रहे हैं। अगर इस पुलिया ग्रामीण इस्तेमाल ना करें तो लगभग 2 किलोमीटर घूमकर ग्रामीणों को अपने गंतव्य तक जाना पड़ता था। पानी में लकड़ी का पिलर कितने दिन रह पाएगा यह भी सोचने की बात है लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि उस गांव में जाकर ग्रामीणों की हालचाल लेने की भी जहमत नहीं उठाई।