अयोध्या

तिरंगा और राम मंदिर दोनों ही राष्ट्र के सम्मान का प्रतीक है, सिंबल के बहुत मायने होते हैं बोले चंपत राय

किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज उस देश के सम्मान का प्रतीक है। हमारा राम जन्मभूमि मंदिर राष्ट्र के स्वाभिमान का प्रतीक है, जिसे 500 साल बाद हमने स्थापित किया है।

अयोध्याDec 26, 2023 / 02:11 pm

Markandey Pandey

बाबर आक्रांता था, विदेशी था उसने राष्ट्र के स्वाभिमान के प्रतीक राम मंदिर को तोड़ा जिसकी पुनर्प्रतिष्ठा करने में 500 साल लगे हैं।

Ayodhya News: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव ने राम मंदिर अयोध्या को लेकर यूपी पत्रिका से विस्तार से बातचीत किया। मंदिर के महत्व, मंदिर की वास्तुकला से लेकर आंदोलन के इतिहास पर उन्होंने बेबाकी से सवालों का जवाब दिया हमारे संवाददाता मार्कण्डेय पांडे को। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा आगामी 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों अभिजीत मुहूर्त में होने जा रही हैं। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय कहते हैं कि यह न केवल राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा है, बल्कि भारत के सम्मान और स्वाभिमान की प्राण प्रतिष्ठा है।
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विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता चंपत राय अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहते है कि प्रतीकों का बहुत महत्व होता है। जैसे हमारा राष्ट्र ध्वज 125 करोड़ भारत वासियों के सम्मान का प्रतीक है वैसे ही भारत वर्ष के सम्मान का प्रतीक है श्रीराम जन्मभूमि पर स्थित मंदिर। अयोध्या में तो तीन हजार मंदिर हैं, देश में लाखों मंदिर श्रीराम के हैं लेकिन भगवान राम की जन्मभूमि एक ही है। वह बदल नहीं सकती, उसे बदला नहीं जा सकता, वह चिरंतन स्थाई है, अनट्रांसफरेबल है। बाबर आक्रांता था, विदेशी था उसने राष्ट्र के स्वाभिमान के प्रतीक राम मंदिर को तोड़ा जिसकी पुनर्प्रतिष्ठा करने में 500 साल लगे हैं।
अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर कहते हैं। राम उनके भी भगवान है, उनके भी प्रेरणाश्रोत है। इस सत्य को समझने में यदि 500 साल लगे तो मुझे संतोष है। यह पूछने पर कि लंबे संघर्ष और आंदोलन के बाद राम मंदिर का निर्माण हो रहा है आपको खुशी होगी ? वह कहते है, मुझे संतोष हैं कि राष्ट्रीय भूलों का हमने देर से ही सही परिमार्जन कर लिया है। राम मंदिर के बनावट को लेकर वह बताते हैं कि इसमें लोहे या सीमेंट का प्रयोग नहीं हुआ है। क्योंकि सीमेंट और लोहे की आयु सौ से डेढ़ सौ साल होती है।
राम मंदिर में 21 लाख क्यूबिक पत्थरों का प्रयोग हुआ है, आर्टिफिशियल रॉक, ग्रेनाइट का प्रयोग हुआ है। देश भर के आईआईटी और भूगर्भ के जानकारों के सम्मिलित प्रयासों से जो तकनीक निकली उसी आधार पर मंदिर बन रहा है। हमने एक भी तकनीक या अन्य कोई भी चीज विदेशी इस्तेमाल नहीं किया है। यह पूरी तरह स्वदेशी आधार पर है। क्योंकि हमारा जो है, वही सर्वश्रेष्ठ है।
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किसी की जीत नहीं, किसी की हार नहीं
विश्व हिंदू परिषद के नेता चंपत राय बताते हैं कि आगामी 22 जनवरी को देश भर में दीपक जलाएं जाएं। उत्सव मनाया जाए। लेकिन यह किसी को चिढ़ाने के लिए नहीं होना चाहिए। यह ना तो किसी की जीत है, ना हार है। भगवान राम सबके हैं। राष्ट्र की एकता अखंडता के प्रतीक है। राम भारत के आदर्श और प्रेरणा के पुंज हैं। हमारे राष्ट्रीय महापुरुष हैं, इस सत्य को स्वीकार करने में 500 वर्ष लगे हैं। बस इतना ही।

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