ये भी पढ़ें – बड़ी खबर : निर्मोही अखाड़े ने कहा विवादित भूमि पर उनका दावा सन 1934 से है जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने किया 1961 में दावा रामलला विराजमान के अधिवक्ता ने किया दावा उदाहरण पौराणिक ग्रंथों में मिले हैं जिनमें या साक्ष्य पुष्ट होता है कि यही वह स्थान है जहां राम ने जन्म लिया था
बुधवार को रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता परासरण ने कहा कि ऐसे उदाहरण पौराणिक ग्रंथों में मिले हैं जिनमें या साक्ष्य पुष्ट होता है कि यही वह स्थान है जहां राम ने जन्म लिया था. इतना ही नहीं अधिवक्ता परासरण ने यह भी कहा कि ब्रिटिश राज में ईस्ट इंडिया कंपनी ( East India Compony )ने जब इस स्थान का बंटवारा किया तो मस्जिद की जगह को राम जन्म स्थान का मंदिर माना था . वरिष्ठ अधिवक्ता परासरण ने कहा कि श्री राम का जन्म होने के कारण ही हिंदुओं के लिए यह जगह ज्यादा पूज्य है . वाल्मीकि रामायण ( Valmiki Ramayan ) का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि स्वयं विष्णु ( lord Vishnu ) ने देवताओं से कहा कि वह अयोध्या में दशरथ राजा के यहां मानव के रूप में जन्म लेंगे . सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान की तरफ से बहस कर रहे 92 साल के वरिष्ठ अधिवक्ता परासरण से कहा कि आप चाहे तो बैठकर भी अपनी दलील रख सकते हैं लेकिन अधिवक्ता परासरण ने बेहद विनम्रता से कहा कि परंपरा इसकी इजाजत नहीं देती इसलिए मैं खड़े होकर ही अपनी बात रखूँगा .
ये भी पढ़ें –जम्मू कश्मीर के शोपियां ( Shopiyan ) और पुलवामा ( Pulwama ) का रहने वाला है दूल्हा रुखसार और अन्य बाराती जस्टिस चंद्रचूड़ ने निर्मोही अखाड़े के अधिवक्ता से कहा दावेदारी से जुड़े दस्तावेजों का चार्ट बनाएं तब होगी सुनवाई
बुधवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने निर्मोही अखाड़े ( nirmohi akhada ) के अधिवक्ता के विवादित भूमि पर कब्जे से जुड़े दावे को लेकर कहा कि वह अपनी दावेदारी को लेकर तमाम दस्तावेज लेकर आएं और उसका एक चार्ट बनाएं इसके बाद ही उनकी सुनवाई होगी . अब निर्मोही अखाड़े को दस्तावेज देने हैं . वहीं सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान की तरफ से दलीलें करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता परासरण ने अपनी बात कहते हुए कहा कि जब कोर्ट किसी संपत्ति को जब्त करता है तो कब्जाधारी के अधिकार को मामले के निपटारे तक छीना नहीं जाता .
बुधवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने निर्मोही अखाड़े ( nirmohi akhada ) के अधिवक्ता के विवादित भूमि पर कब्जे से जुड़े दावे को लेकर कहा कि वह अपनी दावेदारी को लेकर तमाम दस्तावेज लेकर आएं और उसका एक चार्ट बनाएं इसके बाद ही उनकी सुनवाई होगी . अब निर्मोही अखाड़े को दस्तावेज देने हैं . वहीं सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान की तरफ से दलीलें करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता परासरण ने अपनी बात कहते हुए कहा कि जब कोर्ट किसी संपत्ति को जब्त करता है तो कब्जाधारी के अधिकार को मामले के निपटारे तक छीना नहीं जाता .
ये भी पढ़ें – जम्मू कश्मीर के शोपियां ( Shopiyan ) और पुलवामा ( Pulwama ) का रहने वाला है दूल्हा रुखसार और अन्य बाराती निर्मोही अखाड़े ने कोर्ट के समक्ष कहा मामला जमीन पर मालिकाना हक़ का नही बल्कि कब्जे का
सीजेआई ने निर्मोही अखाड़े के अधिवक्ता से राम जन्म भूमि ( Ram Janm Bhoomi ) के सरकारी कब्जे से पहले के रिकॉर्ड के बारे में भी पूछा , सीजेआई ने कहा कि इस मामले में संबंधित रिकॉर्ड कोर्ट के सामने रखे जाएं . निर्मोही अखाड़े के अधिवक्ता ने कहा कि सन 1982 में एक डकैती के दौरान यह सभी दस्तावेज नष्ट हो गए . जिसके बाद सीजेआई ने यह सवाल किया कि अगर आपके पास इस मुद्दे से जुड़े कोई दूसरे साक्ष्य है तो वह कोर्ट के सामने रखें जाएँ .सुप्रीम कोर्ट के सामने वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील जैन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उस भूमि पर मालिकाना हक की लड़ाई नहीं है यह कब्जे की लड़ाई है . इस जमीन पर शुरू से अखाड़े का कब्जा रहा है लिहाजा मामला कब्जे का है . अधिवक्ता सुशील जैन ने यह भी कहा कि अखाड़ा पंजीकृत संस्था है हमारा केस मूल रूप से संपत्ति और प्रबंधन को लेकर है .
ये भी पढ़ें – खौफनाक वारदात का खुलासा : पहले मानसिक बीमार एक शिक्षक ने पार की अपनी मर्यादा फिर तीन नौजवान बने हैवान
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ( Ranjan Gogoi ) की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के सामने रामलला विराजमान की तरफ से अपना पक्ष रखा जाएगा साथ ही बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जिन दस्तावेजों की मांग की थी निर्मोही अखाड़ा वह दस्तावेज भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है .
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ( Ranjan Gogoi ) की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के सामने रामलला विराजमान की तरफ से अपना पक्ष रखा जाएगा साथ ही बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जिन दस्तावेजों की मांग की थी निर्मोही अखाड़ा वह दस्तावेज भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है .