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अयोध्या विवाद पर आया सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, मंदिर-मस्जिद को लेकर चीफ जस्टिस का यह है Decision

अयोध्या फैसला – अयोध्या केस में निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज, कहा- निर्मोही अखाड़े का दावा सूट लिमिटेशन से बाहर

अयोध्याNov 09, 2019 / 11:23 am

Hariom Dwivedi

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

लखनऊ. राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील अयोध्या विवाद मामले में आज ऐतिहासिक दिन है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने फैसला पढ़ना शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज करते दिया है। कहा कि निर्मोही अखाड़े का दावा सूट लिमिटेशन से बाहर है। इसके अलावा मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी गई है। मामले में 40 दिनों तक लगातार चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट शनिवार को फैसले का दिन मुकर्रर किया है। पीठ ने सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसले को देखते हुए उत्तर प्रदेश समेत देश भर में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं। स्कूल-कॉलेजों में सोमवार तक छुट्टी घोषित की गई है। अस्पताल अलर्ट पर हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित देश-प्रदेश के प्रमुख नेताओं ने लोगों से शांति और सौहार्द बनाये रखने की अपील की है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मुसलमानों को मस्जिद के लिए दूसरी जमीन मिलेगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि मुस्लिम पक्ष यह सिद्ध नहीं कर पाया कि उनके पास जमीन का मालिकाना हक था।
चीफ जस्टिस बोले
मस्जिद कब बनवाई गई पता नहीं
सभी धर्मों को समान देखना सरकार का काम
राम जन्मभूमि एक न्यायिक व्यक्ति नहीं
खुदाई में मिला ढांचा गैर इस्लामिक था
दोनों पक्षों की दलीलें कोई नतीजा नहीं देतीं
रामलला विराजमान को कानूनी मान्यता
एसआई की रिपोर्ट में हिंदू मंदिन होने के साक्ष्य
अयोध्या पर फैसला न्यायिक जांच के दायरे से बाहर
मुख्‍य ढांचा इस्लामी संरचना नहीं थी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संदेह से परे है। इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
विवादित जमीन राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी जमीन थी।
बाबरी मस्जिद मीर बाकी द्वारा बनाई गई थी।
ढांचा गिराना कानून-व्यवस्था का उल्लंघन
मुसलमानों को मस्जिद के लिए दूसरी जगह मिलेगी
हिंदू बाहरी अहाते में पूजा करते थे
मुस्लिम पक्ष यह सिद्ध नहीं कर पाया कि उनके पास जमीन का मालिकाना हक था
केंद्र सरकार तीन महीने में योजना तैयार करेगी
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30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अयोध्या के विवादित स्थल को रामजन्मभूमि घोषित किया था। तीन सदस्यीय जजों की विशेष पीठ ने अपने फैसले में विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन बराबर हिस्सों में विभाजित किया था। इस वक्त जहां रामलला की मूर्ति स्थापित है, वह रामलला विराजमान को मिला, जबकि राम चबूतरा व सीता रसोई वाला हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला। तीसरा हिस्सा सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिला। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एसयू खान व जस्टिस धर्मवीर शर्मा की विशेष पीठ ने फैसला सुनाया था। अपने फैसले में तीनों जजों ने यह भी माना कि विवादित स्थल के भीतर भगवान राम की मूर्तियां 22-23 दिसंबर, 1949 को रखी गईं। हालांकि, हिंदू- मुस्लिम पक्ष ने फैसले को न्यायिक नहीं, बल्कि सुलह का फॉर्मूला माना। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई।

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