अयोध्या

गृहमंत्री बूटा सिंह ने कहा शिलान्यास रोक दें, चुनाव का वक्त है, स्थिति बिगड़ जाएगी…

साधु-संतों के अडिग फैसले के बाद मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने केंद्र सरकार को सूचित किया। गृहमंत्री बूटा सिंह विमान से तत्काल लखनऊ पहुंचे। उन्होंने पहुंचते ही गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैधनाथ से गुजारिश की कि शिलान्यास रोक दें। बात नहीं बनी, तो गृहमंत्री देवरहा बाबा के पास पहुंचे। बाबा ने उनकी बात से तत्काल इंकार कर दिया।

अयोध्याOct 23, 2023 / 08:19 am

Markandey Pandey

Ram Mandir Katha: गाय के गोबर से लीप कर केसरिया झंडा गाड़ दिया गया। यहीं पर होगा शिलान्यास। काशी के विद्वानों और राममंदिर के वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा ने तय किया कि विराजमान रामलला से 129 फुट पूरब दिशा में और वहां से दक्षिण दिशा में साढ़े सत्रह फुट पर शिलान्यास किया जाएगा। (वर्तमान राममंदिर निर्माण भी वहीं से हो रहा है।) दुनिया के 34 देशों से रामशिलाएं अयोध्या आनी शुरू हो गई। देश के गांव-गांव से पूजित रामशिलाएं अयोध्या आ रही थीं। रामभक्त और बजरंग दल के कार्यकर्ता पूरे जोश से इन शिलाओं को अयोध्या ला रहे थे।
इधर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायण तिवारी ने संतों का मान-मनौव्वल शुरू किया लेकिन बात नहीं बनी। चुनाव का वक्त था। मुख्यमंत्री ने राजकीय विमान भेजकर गोरखपुर से लखनऊ महंत अवैधनाथ को बुलाया और शिलान्यास रोकने की बातचीत होने लगी। आगे पढ़ने से पहले, आप पूरी कहानी का समरी इस 30 सेकेंड के वीडियो में देख सकते हैं।
https://youtu.be/rEbgVuxtEqs

नारायण दत्त तिवारी-
महंत जी जिस स्थान पर आप शिलान्यास करने जा रहे हैं, हाईकोर्ट ने उसे विवादित घोषित कर दिया है। उस स्थान से हटकर कहीं और आप अपना कार्यक्रम कर लें।

महंत अवैधनाथ- हमें आपका यह सुझाव स्वीकार नहीं है। हमने दो नवंबर को जहां सोच विचार कर झंडा गाड़ा है, वहीं पर शिलान्यास करेंगे। वह प्रस्तावित राममंदिर के सिंहद्वार का मुख्य बिंदू है। न्यायालय का निर्णय हमारे उपर लागू नहीं होता। अगर आप शिलान्यास में बाधा डालेंगे तो हमारे पास दो विकल्प है। एक शिलान्यास दूसरा सत्याग्रह। हम दोनों विकल्पों के साथ अयोध्या आएंगे।
वार्ता विफल हो गई।

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साधु-संतों के फैसले को देखते हुए मुख्यमंत्री नारायण तिवारी ने तत्काल केंद्र सरकार को सूचित किया। गृह मंत्री बूटा सिंह दिल्ली से लखनऊ के लिए विमान से चल पड़े। उन्होंने आते ही महंत अवैधनाथ से कहा कि- ‘’चुनाव का वक्त है। स्थिति बिगड़ जाएगी। न्यायालय का निर्णय आपको मान लेना चाहिए।’’
महंत अवैधनाथ ने कहा कि ‘’आज की इस स्थिति के लिए जिम्मेदार आप हैं और आपकी सरकार। शिलान्यास का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। ना ही हमने चुनाव को ध्यान में रखकर घोषित किया है। बल्कि आपने चुनाव की घोषणा करके शिलान्यास कार्यक्रम को बीच में फंसा दिया है। हम तो अपने पूर्व निश्चित स्थान पर ही शिलान्यास करने जा रहे हैं। यह सम्पूर्ण राष्ट्र और देश-विदेश के एक अरब से अधिक हिंदुओं की भावना और आस्था का विषय है। यह राष्ट्रीय अस्मिता और हिंदुओं के स्वाभिमान का प्रश्र है। शिलान्यास तो निश्चित समय और निश्चित स्थान पर होकर रहेगा। ‘’
वार्ता विफल हो गई।

गृहमंत्री फौरन देवरहा बाबा के पास पहुंचे। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री दोनों ने देवरहा बाबा को साष्टांग प्रणाम कर निवेदन किया कि महाराज शिलान्यास का स्थान परिवर्तन करा दें। लेकिन देवरहा बाबा भडक़ गए और कहा कि शिलान्यास का स्थान परिवर्तन या तिथि परिवर्तन असंभव है।
इसके बाद विहिप और साधु-संतों ने पुर्नविचार किया कि क्या शिलान्यास का स्थान और समय बदला जा सकता है। लेकिन एकमत से निर्णय हुआ कि कोई परिवर्तन संभव नहीं है। सात नवंबर को न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर फैसला देते हुए भूखंड संख्या 586 को विवादित घोषित कर दिया था। जिसके बाद केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार सक्रिय हुई थी।

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रामलला हम आए हैं, मंदिर यहीं बनाएंगे

शिलान्यास को लेकर निर्धारित समय पर अयोध्या के सरयू तट पर हजारों रामभक्त जुट गए। दूसरी तरफ मंच पर धर्माचार्यो के उत्तेजक भाषण भी शुरू थे। शिलान्यास स्थल को हाईकोर्ट ने विवादित स्थान घोषित कर दिया था। जिसके बाद उस जगह पर सशस्त्र जवानों ने चार-चार लाईनों का घेरा बनाकर चारों तरफ से घेर लिया था। वहीं पास में बैठकर रामभक्त और साधु-संत रामकीर्तन करने लगे। संघर्ष..लाठी चार्ज.. कुछ भी हो सकता जैसे हालात बन गए थे। रामभक्तों ने नारा लगाना शुरू किया- रामलला हम आए हैं, मंदिर यही बनाएंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की तरफ से वार्ता का प्रत्येक प्रयास विफल हो चुका था। अब केंद्रीय गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्य के गृहमंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, महानिदेशक गुप्तचर विभाग, केंद्रीय गृह सचिव और राज्य के महाधिवक्ता ने आपस में विचार-विमर्श शुरू किया। विवादित स्थल का नक्शा मंगवाया गया। उसकी नाप जोख की गई और महाधिवक्ता ने साधु-संतों से कहा कि जिस स्थल पर आप लोग शिलान्यास करने जा रहे हैं, वह विवादित भूखंड 586 से बाहर है। इस तरह संघर्ष की स्थिति टल गई।

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शिलान्यास सम्पन्न हुआ

देवोत्थान एकादशी 9 नवंबर को दोपहर साढ़े बारह बजे शिलान्यास स्थल का भूमि पूजन शुरू हुआ। कर्मकांड के बाद साधु-संतों की मौजूदगी में पहली शिला बिहार के एक हरिजन कामेश्वर चौपाल ने रखी। सारा वातावरण जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा। इसी समय देशभर में लोगों ने अयोध्या की तरफ मुंह करके पुष्प चढाए।
इसके बाद मार्गदर्शक मंडल की बैठक हुई और फैजाबाद जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया कि-विश्व हिंदू परिषद के मार्गदर्शक मंडल के धर्माचार्यो ने निर्णय किया है कि मंदिर का निर्माण कार्य तुरंत प्रारंभ कर दिया जाए। शिलान्यास का कार्य सकुशल सम्पन्न हो चुका है तो इसके बाद किसी भी शिलान्यास के बाद भवन निर्र्माण किया जाता है। शासन द्वारा जो अवरोध कंटीले तार, खंभे लगाकर खड़े किए गए हैं उसे तत्काल हटा लिया जाना चाहिए।
जिलाधिकारी फैजाबाद ने 11 नवंबर को उत्तर भेजा कि- आपका पत्र प्राप्त हुआ। माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय होने तक मंदिर निर्माण का कार्य करना उचित नहीं है। इसलिए आपको अनुमति देना संभव नहीं है। ससम्मान
उसी दिन शाम को निर्णय हुआ कि आगामी 26-27 जनवरी को प्रयाग में मौनी अमावस्या के अवसर पर मार्गदर्शक मंडल की बैठक और संत सम्मेलन किया जाएगा। वहीं पर मंदिर निर्माण की तिथि की घोषणा की जाएगी।

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