अयोध्या

शंकराचार्य पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी के निधन पर संतों और विहिप में शोक की लहर

मंगलवार को सत्यमित्रानंद जी सुबह हरिद्वार में उनके निवास स्थान राघव कुटीर में “ब्रह्मलीन” हो गए। वह पिछले 15 दिनों से गंभीर रूप से बीमार थे और उनका देहरादून के मैक्स हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था

अयोध्याJun 25, 2019 / 07:47 pm

अनूप कुमार

शंकराचार्य पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी के निधन पर संतों और विहिप में शोक की लहर

 
अयोध्या : भारत माता मंदिर हरिद्वार के संस्थापक निवृत्त शंकराचार्य पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज के निधन पर संतो सहित विहिप मे शोक व्याप्त है | मंगलवार को सत्यमित्रानंद जी सुबह हरिद्वार में उनके निवास स्थान राघव कुटीर में “ब्रह्मलीन” हो गए। वह पिछले 15 दिनों से गंभीर रूप से बीमार थे और उनका देहरादून के मैक्स हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद उन्हें 5 दिन पहले हरिद्वार उनके आश्रम ले आया गया था। यहीं पर उनकी कुटी को आईसीयू में तब्दील कर उनका इलाज चल रहा था। साथ ही उनके दीर्घायु होने की कामना को लेकर धार्मिक अनुष्ठान भी किए जा रहे थे।स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज को उनके निवास स्थान राघव कुटीर में बुधवार को समाधि दी जाएगी
श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के ऐसे धर्मयोद्धा थे जो सदैव अपनी मृदुल तथा तथ्यपरक वाणी से सभी को सहज अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे

अपनी शोक संवेदना प्रकट करते हुए श्री राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष मणिराम दास छावनी पीठाधीश्वर महंत नृत्य गोपाल दास ने अपनी शोक संवेदना में कहा कि सौम्य और सरल तथा सामाजिक सांस्कृतिक जीवन मूल्यों के प्रति संवेदनशील रहने वाले लोक कल्याणकारी संत महामंडलेश्वर सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज का गोलोक वास हम सभी के लिए कष्टकारी है। वह श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के ऐसे धर्मयोद्धा थे जो सदैव अपनी मृदुल तथा तथ्यपरक वाणी से सभी को सहज अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे। उनकी कीर्ति सदैव समाज और राष्ट्र का मंगल करती रहेगी ।

सनकादिक आश्रम पीठाधीश्वर संत समिति अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने कहा अपनी भावपूर्ण वाणी और सौम्य संबंधो के कारण ही स्वामी सत्यमित्रानंद जी महाराज हरिद्वार के साथ ही देश भर मे पूज्य संतो के हृदय पटल पर विराजमान रहे। भारत माता मंदिर हरिद्वार की स्थापना उनकी अनमोल कृत तो है ही इसके साथ श्रीराम जन्मभूमि के प्रति संवेदनशीलता उनके व्यक्तित्व को निरंतर समाज मे स्थापित करता रहा है। एक धार्मिक जीवन चरित्र का देवागमन है। मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने उन्हे लोककल्याणकारी संत बताते हुये कहा उनमे राष्ट्र वा समाज के लिए संवेदना सदैव बनी रही।ऐसे संतो का पृथ्वी पर आगमन जनकल्याण के लिए ही होता है। गोलाघाट सदगुरूसदन के महंत शिया किशोरी शरण महाराज ने उन्हे राष्ट्र धर्म और अध्यात्म का सच्चा शुभचिंतक बताया।
विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा पूज्य महाराज जी का अवसान राष्ट्र की अपूर्णिय क्षति है।वास्तव मे वह सामाजिक सांस्कृतिक और धार्मिक जगत के अनमोल रत्न थे। जनकल्याण की भावनाओ से ओतप्रोत उनका सम्पूर्ण जीवन हम सभी के लिए अनुकरणीय बना रहेगा। उन्होने बताया कि पूज्य संत निवर्तमान शंकराचार्य महामंडलेश्वर सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज प्रारंभ से ही श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय रहे उन्होंने लगातार देशभर में भ्रमण कर आंदोलन को गति प्रदान किया। वह विश्व हिन्दू परिषद केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के वरिष्ठ सदस्य रहे।प्रभु श्रीराम उस महान संत को अपने चरणों मे स्थान प्रदान कर हम सभी को उनके अधूरे स्वप्न को साकार करने की शक्ति प्रदान करें।

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