मकर संक्रांति का दिन अयोध्या के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। क्यों कि 1949 को राम जन्मभूमि में पौष शुक्ल तृतीया तिथि के दिन भगवान की मूर्ति प्रकट हुआ था। अगले वर्ष यह तिथि मकर संक्रांति को ही पड़ रही है।
खड़े स्वरूप में रामलला की प्रतिमा होगी स्थापित
75 वर्ष के बाद गर्भगृह में भगवान का स्वरूप भी भव्य हो जायेगा। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अब राम मंदिर में भगवान श्री रामलला की खड़े अवस्था में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेगा। जिसकी स्वीकृति भी पूर्व में हुए ट्रस्ट की बैठक में मिल चुकी है।
राम मंदिर में भव्य रामलला के होंगे दर्शन
राम जन्मभूमि परिसर के अस्थाई मंदिर में भगवान श्री रामलला की एक छोटी मूर्ति विराजमान है। और लगभग 30 फिट की दूरी से ही दूर दराज से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को मिल रहा है। जिसके कारण हर कोई अपने आराध्य के दर्शन नही कर पा रहे हैं। इसलिए अब राम मंदिर के मूल गर्भगृह में रामलला की बड़ी मूर्ति लगाए जाने का फैसला ट्रस्ट में लिया है।
पद्मश्री से सम्मानित मूर्तिकार को दी गई जिम्मेदारी
ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय बताते हैं कि भगवान राम लला के स्थाई मूर्ति के स्वरूप पर मंथन शुरू हो गया है। रामलला के मूर्ति के आकार और स्वरूप को लेकर मंथन का दौर जारी है। बीते दिनों ट्रस्ट की बैठक के बाद भगवान रामलला के मंदिर में स्थापित की जाने वाली स्थाई मूर्ति होगी। मूर्ति के आकार और प्रकार को लेकर मूर्ति कला में पदम श्री पुरस्कार से पुरस्कृत मूर्ति कारों को स्थाई मूर्ति के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
रामलला के मस्तक को सुशोभित करेगी सूर्य की किरण
ट्रस्ट की बैठक में मूर्ति के आकार को लेकर चर्चा हुई तो शास्त्र संवत बालक राम की भगवान रामलला के मंदिर में स्थापित की जाने वाली मूर्ति 5 वर्षीय बालक के स्वरूप पर होगी जिसमें मूर्ति की ऊंचाई लगभग साढ़े 8 फीट ऊंची रखी जाएगी ताकि रामलला के जन्मोत्सव के दरमियान भगवान के मस्तक को सूर्य की किरण तिलक लगा सके।
2024 में एक तरफ अयोध्या में विराजे जाएंगे रामलला, दूसरी तरफ सरकार ने बनाया पूरे देश के लिए नया प्लान
भगवान रामलला के चहरे पर दिखेगी भव्य ललट
रामलला के प्रधान पुजारी भी रामलला के मूर्ति को लेकर कहते हैं कि रामलला की मूर्ति आकाशीय रंग की होने चाहिए। कहा कि भगवान रामलला का स्वरूप और आकार शास्त्र सम्मत के साथ धार्मिक मान्यता वाला होगा।
बालक स्वरूप में रामलला होंगे विराजमान
राम जन्मभूमि परिसर में भगवान रामलला अपने चारों भाइयों के साथ बालक स्वरूप में विराजमान है। ऐसे में जो मूर्ति प्रतिष्ठित की जाएगी वह 5 साल के बालक के सामान होगी। इसके साथ ही मूर्ति के रंग को लेकर शास्त्र में वर्णित बहुचर्चित श्लोक नीलांबुज-श्यामल कोमलाङ्ग की तर्ज पर ही भगवान की मूर्ति का स्वरूप और आकार रखा जाएगा।