अयोध्या

राम मंदिर का निर्माण, जर्जर मंदिरों के विग्रह की 28 साल बाद शुरू हुई पूजा-अर्चना

रामलला परिसर के अंदर 13 मंदिर थ। मंदिर निर्माण (Mandir Nirman) के लिए ये जर्जर मंदिर गिराए गए और गिराए गए मंदिरों के विग्रह कारसेवक पुरम् में स्थापित किए गए।

अयोध्याMay 14, 2021 / 12:44 pm

Neeraj Patel

Ram Mandir Nirman Ayodhya other temples worship begins after 28 years

अयोध्या. अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के साथ ही 28 साल बाद 13 उन मंदिरों के विग्रहों की भी पूजा शुरू हो गयी है, जो लंबे समय से बंद थी। रामलला परिसर स्थित यह मंदिर रखरखाव के अभाव में जर्जर हो गए थे। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जब राममंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ और निमार्ण कार्य शुरू हुआ तब इनमें से कई मंदिर गर्भगृह की जद में आ गए। इसलिए इन्हें गिरा दिया गया। इन मंदिरों में स्थापित देवी-देवताओं और विग्रह को कारसेवक पुरम् की यज्ञशाला में अस्थायी रूप से स्थापित कर दिया गया है। अब इनकी विधिवत पूजा-अर्चना हो रही है।

13 मंदिरों में बंद था पूजन कार्य

रामलला परिसर के स्वामित्व को लेकर लंबे समय तक चली कानूनी लड़ाई के बाद 1993 में कोर्ट के आदेश पर मंदिर परिसर की जद में आने वाली 70 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया। अधिगृहीत भूमि में रामलला के जन्मस्थल सहित 13 ऐसे मंदिर भी थे जिनमें पूजा अर्चना होती थी। लेकिन, अधिग्रहण के बाद सुरक्षा कारणों से इन मंदिरों में पूजा बंद हो गयी। सिर्फ जन्मभूमि स्थित रामलला की पूजा की इजाजत कोर्ट से मिली। रखरखाव के अभाव में इन 28 सालों में परिसर के अंदर के मंदिर जर्जर हो गए।

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपतराय का कहना है कि 1993 में अधिग्रहीत 70 एकड़ के भूखंड में कोहबर भवन, रामखजाना और आनंद भवन सहित तमाम मंदिर निर्माण के समय रामलला मंदिर के परकोटे में आ गए। सीता रसोई मंदिर और साक्षी गोपाल मंदिर गर्भगृह परिक्षेत्र में आ रहा है। जबकि, रामचरित भवन के आधे से ज्यादा हिस्सों में राममंदिर की सीढिय़ां शुरु होंगी। इनमें से रामखजाना, कोहबर भवन सहित अन्य जर्जर मंदिरों को इसीलिए गिराना पड़ा। इन मंदिरों के देवी-देवताओं और विग्रह को सुरक्षित रख लिया गया था। जिन्हें अब कारसेवकपुरम् में स्थित यज्ञशाला में स्थापित किया गया है। इनकी अब पूजा हो रही है।

राममंदिर के बेस का तेजी से हो रहा निर्माण

कोविड काल में भी रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रक्रिया लगातार चल रही है। मंदिर के बेस के लिए 400 फिट लंबे, 300 फिट चौड़े व 50 फिट गहरे गड्ढों में मैटेरियल डालनेे का काम जारी है। क्रमबद्ध तरीके से कुछ इस प्रकार मैटेरियल डाला जा रहा है ताकि, उसका घनत्व 90 से 95 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सके। गड्ढों को एक-एक फिट भरा जा रहा है। 300 मिमि भरने के बाद इसे रोलर से दबाया जाता है। फिर इसके ऊपर दूसरी लेयर डाली जाती है। निर्धारित समय में एक-एक लेयर ढालने का काम चल रहा है। कोविड संक्रमण के प्रकोप के बीच अयोध्या में राममंदिर की नींव का निर्माण कार्य जारी है। सघन स्वास्थ्य जांच के बीच ग्राउंड इंप्रूवमेंट कार्य भी चल रहा है। निर्धारित समय सीमा के भीतर नींव की दूसरी लेयर की ढलाई की जा चुकी है। काम में तेजी लाने के लिए 50 और श्रमिकों और तकनीशियंस को लगाया गया है। जुलाई से पहले नींव के गहरे गड्ढों को भर लेने की योजना है।

ये भी देखें – 28 साल बाद पूजा-अर्चना: राम मंदिर का निर्माण With Mahendra Pratap Singh Episode- 39

समय बहुत कठिन, दो लक्ष्य साधना चुनौती

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि यह समय बहुत ही कठिन है। दो-दो लक्ष्य सामने हैं। पहले तो श्रमिकों को खुद को कोरोना संक्रमण से बचाना है और दूसरे राम मंदिर निर्माण के काम को भी समय से पूरा करना है। क्योंकि,बारिश के पहले नींव भरने का काम पूरा नहीं हुआ तो परिसर में पानी भर जाएगा। इसीलिए गर्भगृह में नींव के लिए खोदे गए गड्ढोंं को 40 लेयर में भरने का काम तेजी से किया जा रहा है। काम में तेजी लाने के लिए मेसर्स बालाजी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने मशीनों के साथ श्रमिकों और कारीगरों की संख्या बढ़ा दिया है। वाईब्रो रोलर सहित कुल 16 मशीनों के साथ 100 वर्कर काम कर रहे हैं।

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