अयोध्या : देश की सबसे बड़ी अदालत में जहां देश के सबसे बड़े मुकदमे की इन दिनों नियमित रूप से सुनवाई चल रही है और क्रमवार अभी तक जहां हिंदू समुदाय से जुड़े पक्षकारों ने अपनी दलील दी और अपना पक्ष रखा . वहीं अब मुस्लिम समुदाय की ओर से जिरह कर रहे अधिवक्ता अपना पक्ष रख रहे हैं . लेकिन सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता राजीव धवन द्वारा हिंदू पक्ष द्वारा साक्ष्य के तौर पर पेश किए गए धार्मिक ग्रंथों और ऐतिहासिक तथ्यों का विरोध करने और उनकी सत्यता पर सवाल उठाने को लेकर बाबरी मस्जिद ( Babari Masjid ) मामले के एक अन्य पक्षकार इकबाल अंसारी ( Iqbal Ansari ) ने कड़ा विरोध किया है .इकबाल अंसारी ने कहा है की कहानी और उपन्यास तो बहुत से लिखे गए लेकिन रामायण ( Ramayan ) की सत्यता और उसके अस्तित्व को कभी किसी मुस्लिम ने नकारा है .
ये भी पढ़ें – 4 सितम्बर को आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय पहुंचेंगी राज्यपाल होगा फलों से स्वागत सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के बाबरी मस्जिद राम मंदिर मुकदमे में मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने हिन्दू पक्ष द्वारा पेश धार्मिक ग्रंथों के दावे पर उठाया है सवाल
अपने आवास पर पत्रिका टीम ( Patrika.com ) से बात करते हुए इकबाल अंसारी ने साफ तौर पर कहा कि मुस्लिम समुदाय में जितना सम्मान कुरआन ( Kuran ) का है उतना ही भगवत गीता ( Bhagwad Geeta ) और रामायण का भी है .गोस्वामी तुलसीदास जी ( Goswami Tulsi das ) द्वारा रचित रामचरितमानस की सत्यता और उसकी वास्तविकता पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता . हम भी इन धार्मिक ग्रंथों का पूरा सम्मान करते हैं . न्यायालय की लड़ाई अलग है . वहां सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है . लेकिन हम कहीं नहीं चाहेंगे इस मुकदमे का कोई भी पक्षकार कभी कुरान और भगवत गीता श्रीरामचरितमानस ( Shri Ramcharit Manas ) के अस्तित्व पर सवाल उठाए और उसकी सत्यता पर संदेह खड़ा करें .