राज्य के संस्कृति निदेशक शिशिर ने बताया कि रामायण विश्व महाकोश को विभिन्न खंडों में विभाजित करते हुए सबसे पहले अयोध्या खंड की योजना बनाई गई है। इसमें अयोध्या के नामकरण के साथा पुरातत्व, इतिहास और उसके सभी सांस्कृतिक, धार्मिक व साहित्यिक परिप्रेक्ष्य को समाहित किया जाएगा। दूसरे खंड में अयोध्या के सभी राजाओं पर शोधपरक जानकारी एकत्र की जाएगी। जिसमें इक्ष्वाकु वंश से लेकर राम तक लगभग 65 राजाओं का विवरण संकलित किया जाएगा। तीसरे खंड के लिए प्रदेश की जानकारियां संकलित की जा रही हैं। जिसमें भारतवर्ष के सभी राज्यों में प्रत्येक में एक-एक खंड के प्रकाशन की योजना है।
संस्कृति निदेशक ने बताया कि इस प्रकाशन-संकलन में स्थापत्य को संकलित करते हुए प्रत्येक जिला स्तर तक राम, हनुमान, जानकी और रामायण संदर्भित मंदिरों का दस्तावेजीकरण अधिकतम 500 शब्दों में, एक मंदिर के 4 फोटो सहित किया जाएगा। इसी तरह मूर्ति, चित्र और मूर्त विरासत की सभी परम्पराओं का दस्तावेजीकरण वैज्ञानिक आधार पर इंसाइक्लोपीडिया फार्मेट में किया जाना है। अयोध्या शोध इस पर काम कर रहा है। इंसाइक्लोपीडिया का लोगों कंबोडिया के दसवीं शताब्दी के एक मंदिर के मुख्य द्वार पर रामायण के प्रथम श्लोक से सम्बंधित कलाकृति पर आधारित है। जिसमें बहेलिया युगल क्रौंच पक्षी,ब्रम्हा, वाल्मीकि, भारद्वाज अंकित हैं। यह अंकन क्रमश: और मंदिर के बाहर बनाया गया है जो रामायणा की पूरी भाव भूमि को प्रकट करने वाली विश्व की सबसे प्राचीन कलाकृति है।