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मंदिर निर्माण समिति से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दिसंबर 2023 तक मुख्य गर्भगृह व मंदिर की पहली मंजिल का काम पूरा होने की संभावना है। ऐसे में वहां श्रद्धालु के लिए उस वक्त तक मंदिर के दरवाजे खुल जाएंगे और वे आराम से दर्शन-पूजन कर सकेंगे। आगे बताया कि मंदिर आंदोलन के दौरान देशभर से कारसेवक मंदिर निर्माण के लिए ईंट लाए थे। उनका भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। दरअसल जिन पत्थरों की पूर्ण संरचना हो गई है, उन्हीं का इस्तेमाल मंदिर में करने का फैसला किया गया है। लेकिन राम भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए पत्थरों का कहीं न कहीं इस्तेमाल तो किया ही जाएगा। इसके अतिरिक्त विहिप की वर्कशॉप कारसेवकपुरम में रखे नक्काशीदार पत्थरों में से केवल 70 प्रतिशत का ही इस्तेमाल हो सकेगा।
मंदिर निर्माण समिति से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दिसंबर 2023 तक मुख्य गर्भगृह व मंदिर की पहली मंजिल का काम पूरा होने की संभावना है। ऐसे में वहां श्रद्धालु के लिए उस वक्त तक मंदिर के दरवाजे खुल जाएंगे और वे आराम से दर्शन-पूजन कर सकेंगे। आगे बताया कि मंदिर आंदोलन के दौरान देशभर से कारसेवक मंदिर निर्माण के लिए ईंट लाए थे। उनका भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। दरअसल जिन पत्थरों की पूर्ण संरचना हो गई है, उन्हीं का इस्तेमाल मंदिर में करने का फैसला किया गया है। लेकिन राम भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए पत्थरों का कहीं न कहीं इस्तेमाल तो किया ही जाएगा। इसके अतिरिक्त विहिप की वर्कशॉप कारसेवकपुरम में रखे नक्काशीदार पत्थरों में से केवल 70 प्रतिशत का ही इस्तेमाल हो सकेगा।
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50 महीनों में 29वीं बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामनगरी अयोध्या पहुंचे। मौका भी खास था। 5 अगस्त को मंदिर निर्माण के लिए हुए भूमि पूजन की पहली सालगिरह थी। इस उपलक्ष्य में अयोध्या में कई धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री ने भाग लिया। इससे पहले अयोध्या पहुंचते ही सीएम ने राम लला के दर्शन किए। उन्होंने आरती उतारी व पूजन भी किया। इसके बाद उन्होंने अन्न महोत्सव में भाग लिया और फिर लखनऊ रवाना हो गए।