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12 जून की रात जिस समय अपहरण किये जाने कि यह पूरी घटना हुई उस समय रेस्टोरेंट्स में तमाम लोग मौजूद थे | जहां पर आशीष ने पहले अपने भाई की पिटाई की और उसके बाद सरेआम सबके सामने मनोज शुक्ला को जबरिया अपनी गाड़ी में बैठा ले गया | पूरी रात परिवार जन मनोज की तलाश करते रहे लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला | 13 जून की सुबह मनोज के परिजनों ने कोतवाली नगर में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई | जिसके बाद पुलिस के मुताबिक वह घटना की जांच में जुट गई | लेकिन पुलिस के दावे के मुताबिक 12 जून की रात ही मनोज की हत्या कर दी गई थी और आरोपियों ने उसके शव को गोंडा जिले के मसकनवा इलाके में रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया था | यहां तक तो पुलिस की थ्योरी सही है लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिरकार जब मामले की सूचना पुलिस को मिल गई तो पुलिस ने अपहरण की घटना की जानकारी आसपास के पुलिस थानों क्यूँ नही दी ,अगर ऐसा किया गया होता तो शायद मनोज के शव मिलने की जानकारी 13 जून को ही मृतक के परिजनों को मिल जाती और वह अपने परिवार के सदस्य का आखरी बार चेहरा देख पाते और उसका क्रिया कर्म कर पाते | लेकिन पुलिस की लापरवाही के चलते मनोज का अंतिम संस्कार एक लावारिश शव के रूप में जीआरपी मसकनवा ने कर दिया |
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शहर के रिहायशी इलाके से युवक मनोज शुक्ला के अपहरण और उसकी निर्मम हत्या की वारदात की पूरी साजिश से पुलिस ने पर्दा उठाने का दावा कर दिया है लेकिन सवाल यही है कि आखिरकार इस बेहद खौफनाक हत्या की वारदात के बाद इस घटना में लीपापोती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी या नहीं | बेहद शर्मनाक हकीकत है यह अपहरण की घटना की सूचना पुलिस को मिली और उसके बाद आरोपी वारदात को अंजाम देने के बाद लगातार सबूत मिटाता रहा और पुलिस कुछ नहीं कर सकी | इतना ही नहीं पड़ोसी जनपद गोंडा के मसकनवा की पुलिस ने भी इस मामले को हल्का करने में कोई कसर नहीं छोड़ी | UP Anatomy Act एक्ट के मुताबिक लावारिस शव उसे कहा जा सकता है जिस पर कम से कम 48 घंटे तक कोई अपना दावा नहीं करता है और उसके बाद भी 72 घंटे तक शव की शिनाख्त के लिए उसे सुरक्षित रखने का प्रावधान है | बावजूद उसके रेलवे ट्रैक पर मनोज शुक्ला का शव मिलने के बाद 24 घंटे के अंदर ही आखिरकार पुलिस ने उसका अंतिम संस्कार क्यों कर दिया यह बात गले से नीचे नहीं उतर रही है | वही मनोज शुक्ला के परिवार के सदस्य उनकी बूढ़ी मां और उनकी बार-बार यह इल्जाम लगा रही है कि पुलिस की साजिश के चलते वह अपने भाई और अपने बेटे का आखरी बार चेहरा भी नहीं देख सकी | जब मनोज के अपहरण की सूचना पुलिस को दी गई तो पुलिस ने तत्काल इस मामले की खबर अपने माध्यमों के जरिए पड़ोसी जनपद की पुलिस को क्यों नहीं दी और उसकी तस्वीरें क्यों नहीं आसपास के जिलों के पुलिस थानों तक भेजी गई | आखिरकार शव मिलने के बाद भी समाचार पत्रों में इसकी सूचना क्यों नहीं प्रकाशित की गई | ये वो सवाल है जिसका जवाब पुलिस के पास नहीं है | अब इसे बेशर्मी ही कहा जाएगा कि जहां एक युवक के साथ हैवानियत करने के बाद उसकी निर्मम हत्या कर दी गई | वहीं पुलिस इस घटना पर अपने उन पुलिसकर्मियों को इनाम बांट रही है जिन पर इस पूरे केस में लापरवाही बरतने का आरोप है ।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जिले के एसएसपी आशीष तिवारी ने बताया कि इस वारदात को अंजाम देने वालों में मुख्य आरोपी आशीष सिंह के अलावा वीरेश सिंह ,श्याम यादव ,शिवम सिंह विनीत पांडे और श्रवण पांडे शामिल थे जिनकी गिरफ्तारी पुलिस ने कर ली है | इसके अलावा फरार चल रहे सात अन्य अभियुक्तों में अमन सिंह, विकास तिवारी ,धर्मेंद्र सिंह ,सोनू सोनकर अनीश पांडे ,राणा सिंह ,मनोज मल्होत्रा की तलाश पुलिस कर रही है | एसएसपी आशीष तिवारी ने बताया कि हत्यारोपी आशीष सिंह के घर से हत्या में प्रयुक्त एसयूवी वाहन मृतक की बाइक और हत्या में प्रयोग करने वाला लोहे का राड सहित अन्य सामान बरामद किया गया है | एसएसपी आशीष तिवारी ने यह भी बताया कि जीआरपी मसकनवा की भूमिका को लेकर उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा गया है कि किन परिस्थितियों में समय से पहले ही मृतक के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया |घटना का अनावरण करने वाले पुलिसकर्मियों को नकद धनराशि से पुरस्कृत भी किया गया है |