यहीं दिखाया था शेषनाग का रूप प्राचीन धर्मग्रन्थों के अनुसार सहस्त्रधारा घाट सरयू तट के किनारे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के भाई लक्षमण जी महाराज ने इसी स्थान पर अपने वास्तविक शेषनाग का रूप दिखाया था। इसी कारण यह मंदिर प्राचीन शेषावतार लक्ष्मण मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। अयोध्या के लोगों का मानना है कि इस प्राचीन मंदिर में खड़े होकर कोई झूठ नहीं बोल सकता। जो व्यक्ति इस स्थान पर मौजूद होकर झूठी कसम खाता है। उसकी मृत्यु निश्चित है। इस बात की पुष्टि मंदिर के पुजारी भी करते हैं।
लोगों की आस्था का विशेष केंद्र पुण्य सलिला सरयू तट के किनारे मौजूद यह प्राचीन मंदिर लोगों की आस्था का विशेष केंद्र है। हर नागपंचमी पर इस मंदिर में विशेष आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से लोग शामिल होने आते हैं। भगवान राम के अनुज लक्ष्मण को भगवान शेषनाग का अवतार मानकर इस मंदिर में उनकी प्रतिमा स्थापित कर उनकी सेवा पूजा की जाती है।