सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने जो नक्शा फाड़ा, जानें उससे जुड़ी खास बातें
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई आज आखिरकार पूरी हो गई। लेकिन सुनवाई का आखिरी दिन कुछ ज्यादा ही गरमागर्मी का रहा। हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच काफी तनातनी देखने को मिली।
अयोध्या. सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई आज आखिरकार पूरी हो गई। लेकिन सुनवाई का आखिरी दिन कुछ ज्यादा ही गरमागर्मी का रहा। हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच काफी तनातनी देखने को मिली। मामला इतना बड़ गया कि मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कोर्ट में पेश किए गए राम मंदिर के नक्शे को फाड़कर उसके पांच टुकड़े कर दिए। दरअसल सुनवाई के दौरान हिन्दू महासभा की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने दलीलें देनी शुरू कीं, तो मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से उनकी नोक-झोंक हो गई। इस बीच धवन ने कोर्ट में वकील विकास सिंह द्वारा पेश किए गए राम मंदिर के जन्मस्थान के नक्शे को फाड़ दिया। मीडिया खबरों में यह चर्चा का विषय भी बना रहा। लोगों में इस बात को लेकर भी उत्सुकता रही कि आखिर वह नक्शा था क्या और कहां से आया।
ये भी पढ़ें- अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी, मुस्लिम पक्षकारों ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के केस वापस लेने पर दिया बड़ा बयानइस किताब में छपा था नक्शा- दरअसल यह नकशा पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की किताब अयोध्या रीविजिटेड (Ayodhya Revisited) में था। जिसे निकालकर वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कोर्ट में पेश किया। यह किताब 2016 में पब्लिश हुई थी। वह मामले से जुड़ी कई तरह की भ्रांतियों को दूर करती हैं। किताब में बाबर को उदार राजा बताया गया है। साथ ही यह भी लिखा है कि बाबरी मस्तिद के निर्माण में बाबर का कोई रोल नहीं था।
ये भी पढ़ें- रत्ना सिंह के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस का अदिति सिंह को लेकर आया बड़ा बयान1528 में नहीं 1660 में तोड़ा गया था राम मंदिर- किताब में लिखा है कि अयोध्या में राम मंदिर को 1528 में मीर बाकी ने ध्वस्त नहीं किया था। बल्कि 1660 में औरंगजेब के रिश्तेदार फिदाई खान ने तोड़ा था। किताब में यह भी बताया गया है कि अयोध्या में केवस एक ही सबूत था जिससे यह साबित होता था कि राम मंदिर को बाबर के निर्देश के बाद मीर बाकी ने तोड़ा था। यह सबूत था दो शिलालेख। यह सबूत झूठा है।
किताब में इस बाता की दावा किया गया है कि 6 दिसंबर 1992 को जिस विवादित ढांचे को तोड़ा गया था, वो बाबरी मस्जिद नहीं थी। किताब के मुताबिक यहां पर राम मंदिर विराजमान था।
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