और जब धधक उठा था अलीगढ़, कानपुर, खुर्जा, बुलंदशहर, राम मंदिर आंदोलन के दौर में जाने पूरा मामला
एक तरफ अयोध्या से शुरू करके प्रदेश और देश में कारसेवक शांतिपूर्ण सत्याग्रह के अंर्तगत गिरफ्तारी दे रहे थे। प्रशासन भी सहयोग करने लगा था। लेकिन तभी अलीगढ़, कानपुर, खुर्जा, बुलंदशहर समेत पश्चिम यूपी में दंगे भडक़ उठे। आइए जानते हैं राममंदिर कथा के 54 वें अंक में विस्तार से उस दिन अलीगढ़ में क्या हुआ, कैसे भडक़ा दंगा?
श्रम मंत्री झूठ बोल रहा था। हकीकत में दंगों की शुरुआत उनकी तरफ से ही हुई थी।श्रम मंत्री और बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक आजम खान ने बताया कि अलीगढ़ में नमाजी जुमे की नमाज अदा करके लौट रहे थे, तभी उनपर बमों से हमला हुआ और इसके बाद शहर में मारकाट शुरू हो गया।
Ram Mandir Katha: पश्चिम यूपी ही क्यों कानपुर, एटा, मेरठ, वाराणसी, प्रयाग, फैजाबाद, गोरखपुर, गाजियाबाद, आगरा समेत अनेक जिले साम्प्रदायिकता की आग में जलने लगे। वरिष्ठ पत्रकार हरिशंकर मिश्रा बताते हैं कि हालात बिगड़े तो सेना बुलानी पड़ी। कई जगह देखते ही गोली मार देने का आदेश देना पड़ा। गंज डूडवारा की सडक़ों पर विष्फोटक पदार्थ बिछाकर सैकड़ों लोगों की हत्या की साजिश की गई। चलती टे्रन से छोटे बच्चों को फेंकने की घटनाएं हुई। टे्रनों पर हमला, सामूहिक बलात्कार यहां तक कि अलीगढ़ में अस्पताल में मरीजों और उनके तीमारदारों की हत्या कर दी गई।
अलीगढ़ में दंगा कैसे भडक़ा ? तत्कालीन श्रम मंत्री और बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक आजम खान ने बताया कि अलीगढ़ में नमाजी जुमे की नमाज अदा करके लौट रहे थे, तभी उनपर बमों से हमला हुआ और इसके बाद शहर में मारकाट शुरू हो गया।
लेकिन पत्रकार मनोज तिवारी इसका खंडन करते हैं वह कहते हैं कि यह पूरा झूठ है। वह सवाल करते हैं कि दंगे हमेशा वर्ग विशेष की तादात जहां अधिक होती है, उन्हीं मुहल्लों और शहरों में क्यों होते हैं? श्रम मंत्री झूठ बोल रहा था। हकीकत में दंगों की शुरुआत उनकी तरफ से ही हुई थी। अपनी बात के समर्थन में वह बताते है कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अलीगढ़ ने भी कहा था कि लौट रहे नमाजियों में से कुछ अराजक तत्वों ने पथराव किया था, आगजनी और मारपीट किए उसके बाद दोनों पक्ष के लोग घरों से बाहर निकल आए और बात बिगड़ गई।
हाथरस में रिक्शेवाले को पीटकर मार डाला प्रदेश दंगों की आग में जलने लगा लेकिन प्रशासन नहीं चेता। दुकानों, गोदामों में आगजनी से लेकर लूट की घटनाएं होने लगी। हाथरस बस अड्डे पर एक रिक्शेवाले को पीट-पीट कर मार डाला गया।
8 दिसंबर, 1990 गोमती एक्सप्रेस इसी दिन दोपहर करीब 12 बजकर 10 मिनट पर गोमती एक्सप्रेस अलीगढ़ के छर्रा स्टेशन से गुजर रही थी। वर्ग विशेष ने टे्रन रुकवा दिया और यात्रियों को नीचे उतारा। इसके बाद यात्रियों की पीटाई शुरू कर दी गई। यहां तक कि रेलवे के एक कर्मचारी जो वर्ग विशेष का था, लेकिन पहचान स्पष्ट नहीं हो पाने के कारण उसी वर्ग के लोगों ने उसे मार डाला। इस घटना में छह लोग मरे, लेकिन अगले दिन अलीगढ़ में पचास लोग मारे गए।
फ्लैग मार्च कर रहे सेना के जवानों पर हमलावरिष्ठ पत्रकार राजीव मिश्रा कहते हैं कि कानुपर में महौल खराब नहीं होता लेकिन जनता दल के नेता अख्तर हुसैन ने काम खराब किया। हालात एक बार बिगड़े तो दर्जनों मारे गए। सेना के तैनात होने के बाद भी हिंसा जारी रही। फ्लैग मार्च कर रहे सेना के जवानों पर हमला हुआ। चार से छह दिन तक कानुपर में बमों के धमाके गंूजते रहे। कई मुहल्लों में वर्ग विशेष की इतनी तगड़ी मोर्चेबंदी थी कि सेना और पुलिस भी वहां नहीं घुस पा रही थी। दूसरी तरफ पीएसी और वर्ग विशेष का संघर्ष जारी था।
यह भी पढ़ें- जज साहब बनकर फोन किया और लगाया लाखों का चूना, वाइस क्लोनिंग से ऐसे रहे सतर्कबुलंदशहर की वह दिल दहलाने वाली घटना बुलंदशहर जिले के जहांगीरपुर कस्बे में 22 लोगों को जिंदा जला देने की कोशिश की गई। जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में 9 बच्चे और दो महिलाएं थी। इस घटना से पहले ही दो वर्गो में तनाव चल रहा था। माहौल को बिगाडऩे के लिए वर्ग विशेष के लोगों ने बम धमाके किए, पथराव किया। पुलिस और प्रशासन लापरवाह था। जिसके बाद आसामाजिक तत्वों का हौसला बढ़ता गया और मामला धीरे-धीरे दंगों का शक्ल लेता गया।
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अब शुरू हुआ सत्याग्रह का दौर, लाखों कारसेवकों ने दी गिरफ्तारीखुर्जा में हुआ नरसंहार, आगरा भी चपेट में बुलंदशहर के खुर्जा में हालात इतने बिगड़े की शवों की पहचान मुश्किल हो गई। दंगाईयों ने मारने के बाद उन शवों का पेट्रोल डालकर ऐसे जला दिया जिससे पहचाना न जा सके। डर के मारे लोग शवों को उठाने या अंतिम संस्कार करने ले जाने से बचने लगे। अलीगढ़ निवासी और पेशे से अध्यापक चौधरी जितेंद्र सिंह बताते हैं कि ऐसे ही समय में दंगों की जांच के लिए जामा मस्जिद के अब्दुल्ला बुखारी ने संयुक्त राष्ट्र संघ का दल बुलाने की मांग कर दी। जिसका देशभर में तीखा विरोध हुआ। कमोबेश यही हाल प्रदेश के विभिन्न शहरों का था। प्यार मुहब्बत का शहर कहा जाने वाला आगरा तीन दिन तक दंगों की आग में जलता रहा। करीब 50 से अधिक लोग मारे गए। जगह-जगह पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी इसके बाद भी हालात बिगड़ते ही गए।
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बाबरी गुंबद को डायनामाईट से उड़ाने की साजिश, गिरफ्तार हुआ सुरेश बघेलएटा में उमा भारती की हत्या की साजिश उत्तरप्रदेश में दंगों की शुरुआत एटा जिले के डूडवारा कस्बे से हुई थी। भाजपा की सांसद उमा भारती वहां पर भाषण देने जाने वाली थी। लेकिन उनके पहुंचने से पहले ही मामला बिगड़ गया। हांलाकि तत्कालीन प्रदेश सरकार ने किसी भी जांच दल को वहां नहीं भेजा लेकिन भाजपा के कल्याण सिंह और राजेंद्र कुमार गुप्त गए। अपनी जांच रिर्पोट में भारतीय जनता पार्टी के नेता कल्याण सिंह ने जो खुलासे किए उसी को सही मानकर प्रदेश सरकार ने कार्यवाही भीर किया। रिपोर्ट में कहा गया कि जब उमा भारती गंज डूडवारा जा रही थी तभी रास्तें में उनकी काफिले को आग के हवाले करने के लिए सडक़ों पर विष्फोटक बिछाया गया था। एक वर्ग विशेष के उपासना स्थल से उमा भारती पर हमले किए गए लेकिन वह बाल-बाल बच गई। जारी रखेंगे।
राममंदिर कथा अंक में हम आपको बताएंगे कि वीपी सिंह की सरकार के पतन के बाद चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री बने। चंद्रशेखर की सबसे बड़ी कामयाबी क्या रही। उन्होंने कैसे विश्व हिंदू परिषद और बाबरी एक्शन कमेटी के नेताओं को वार्ता के लिए आमने-सामने बैठाया।
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