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आचार्य सत्येंद्र दास, जो हाल ही में लखनऊ के पीजीआई में उपचार के बाद स्वस्थ होकर अयोध्या लौटे हैं, ने बताया कि सर्दियों की शुरुआत के साथ भगवान के लिए सेवा विधान में बदलाव अनिवार्य हो जाता है। उनके अनुसार अगहन पंचमी से श्रीराम लला को रजाई ओढ़ाई जाएगी और स्नान के लिए गुनगुने जल का उपयोग होगा। यही नहीं, भगवान के भोग में भी आवश्यक परिवर्तन किए जाते हैं, जिसमें ठंडी चीजों को हटाकर गर्माहट प्रदान करने वाले भोग जैसे मेवे, सूखे फल, और गर्म मसाले का समावेश किया जाता है। यह भी पढ़ें
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प्रभु श्रीराम लला के इन बदलावों का उद्देश्य उन्हें सर्दी से बचाना और उनके लिए आरामदायक वातावरण तैयार करना है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी, भगवान की सेवा में रजाई और कंबल के अलावा, विशेष रूप से ब्लोवर का भी उपयोग किया जाएगा ताकि उन्हें ठंड का अहसास न हो। आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि जैसे हमारे अपने जीवन में सर्दियों के हिसाब से खान-पान और कपड़ों में बदलाव होता है, वैसे ही भगवान के लिए भी सेवा विधान में बदलाव होते हैं। यह भी पढ़ें
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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या द्वारा जारी इस सूचना में यह भी बताया गया कि सर्दियों के मौसम में भगवान को दिए जाने वाले भोग में गरम चीजों का प्रमुख स्थान होता है, जो उनकी शीत से सुरक्षा का ध्यान रखते हुए तैयार किया जाता है। इसमें विशेष प्रकार के मिष्ठान्न, गरम दूध, खीर, घी, और हलवा जैसे व्यंजनों को शामिल किया जाता है। इसके साथ ही उन्हें ओढ़ने के लिए नर्म और गरम रजाई तथा अन्य वस्त्रों का प्रबंध किया जाता है। यह भी पढ़ें
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प्रभु राम के इस सर्दियों के सेवा विधान से भक्तगण भी जुड़ाव महसूस करते हैं और भगवान की सेवा में विशेष रूप से ध्यान रखते हैं। सर्दियों के इस विधान को लेकर अयोध्या और आसपास के श्रद्धालुओं में उत्साह और भक्तिभाव का माहौल रहता है। विशेष रूप से अगहन पंचमी का यह समय धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, जहाँ भगवान श्रीराम की सेवा में परिवर्तन भक्तों के लिए आध्यात्मिकता और भक्ति का अवसर प्रदान करता है। यह भी पढ़ें