अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट में चल रहे बाबरी मस्जिद राम मंदिर मुकदमे में सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता राजीव धवन द्वारा श्रीरामचरितमानस की विश्वसनीयता और सत्यता पर सवाल उठाने और उसे काल्पनिक बताने को लेकर अयोध्या के संतों में आक्रोश भड़क गया है | संतों ने कहा है कि इस तरह की बातों से सामाजिक उन्माद फैल सकता है | ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए | वहीं विश्व हिंदू परिषद ने भी इस मुद्दे पर कड़ी आपत्ति जताते हुए ऐसे बयान की निंदा की है |
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अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने कहा कि भगवान श्री राम और उनकी कथा को काल्पनिक बताने वाले को स्वयं का ज्ञान नहीं है | ऐसे लोग अधर्मी है उन्हें पहले श्रीरामचरितमानस का अध्ययन करना चाहिए , उसके बाद किसी भी प्रकार का बयान देना चाहिए | भगवान श्री राम और श्री रामचरितमानस के प्रति ऐसे शब्दों को अयोध्या का संत समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा | चौबुर्जी मंदिर के महंत बृजमोहन दास ने कहा कि अयोध्या के साधु-संतों ने धर्म रक्षा के लिए अनेक बलिदान दिए हैं | हमारे हिंदू धर्म ग्रंथ शाश्त्र ही हमारे जीवन का आधार है | इस तरह की टिप्पणी कर मुस्लिम पक्षकार संतों का और हिंदू जन भावनाओं का अपमान कर रहे हैं | इस तरह के बयानों पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए |
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विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब राम मंदिर मामले को लेकर मुस्लिम पक्षकारों ने हिंदू धर्म पर भगवान राम लला पर और उनके अस्तित्व पर सवाल उठाया है | कोर्ट में मुस्लिम पक्ष कमजोर है इसी कारण इस तरह के उल्टे सीधे बयान देकर मुस्लिम पक्षकार मामले को लंबा खींचना चाहते हैं | इस तरह के बयान देने का उद्देश्य सिर्फ समाज में वैमनस्यता फैलाना है हम ऐसे बयान की निंदा करते हैं |