मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राम मंदिर के एक पुजारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रामलला के श्रृंगार से पहले रोजाना उन्हें स्नान कराया जाता है। सरयू जल के अलावा उन्हें मधुपर्क से भी स्नान कराया जाता है। मधु पर्क में दूध, दही, घी, शहद मिला होता है। इससे स्नान कराने के बाद उन्हें फिर से सरयू जल से नहलाया जाता है।
राम मंदिर में पानी निकासी की नहीं कोई व्यवस्था
स्नान के बाद जो पानी फर्श पर गिरता है उसे कहां ले जाएं, क्योंकि पानी निकासी की कोई व्यवस्था ही नहीं है। स्नान के लिए एक बड़ी थाल नीचे रखते हैं ताकि पानी उसी में गिरे, बाद में इसे पौधों में अर्पित कर दिया जाता है। जो थोड़ा बहुत पानी बचता है, उसे सुखा लिया जाता है। तोड़फोड़ हुई तो बिगड़ जाएगी गर्भगृह की सुंदरता
तकनीकी कमी के चलते भीषण गर्मी के बावजूद गर्भगृह में एसी भी नहीं लग पा रही है। गर्भगृह का निर्माण पत्थरों से किया गया है। एसी लगाने के लिए पत्थरों को तोड़ना पड़ेगा। जल निकासी की व्यवस्था करने के लिए भी तोड़फोड़ करनी पड़ेगी। पत्थरों पर भव्य नक्काशी की गई है, ऐसे में तोड़फोड़ से गर्भगृह की सुंदरता बिगड़ जाएगी। यह तकनीकी रूप से भी आसान नहीं है, क्योंकि राम मंदिर में एक पत्थर के ऊपर दूसरे पत्थर को जोड़ा गया है। जरा- सी छेड़छाड़ भी संभव नहीं है।