रामलला विराजमान
मुकदमे के पहले पक्ष के रूप में मंदिर-मस्जिद के अंदर विराजमान भगवान राम हैं। जिन्हें रामलला विराजमान के रूप में जाना जाता है। इनके मुकदमें की पैरोकारी विश्व हिंदू परिषद कर रही है।
निर्मोही अखाड़ा
मुकदमे का दूसरा पक्ष सनातन हिंदुओं की संस्था निर्मोही अखाड़ा ( Nirmohi Akhada ) है। यह संस्था सवा सौ साल से विवादित स्थान पर पूजा-अर्चना करने और इस स्थान पर अपना कब्जा बताते हुए इस भूमि का स्वामित्व खुद को देने की लड़ाई लड़ रही है
सुन्नी वक्फ बोर्ड
देश के अहम मुकदमे का तीसरा पक्ष है सुन्नी वक्फ बोर्ड। जिसमें कुछ स्थानीय मुस्लिम शामिल हैं। इनका दावा है कि विवादित स्थान पर सम्राट बाबर ( Babari ) ने बाबरी मस्जिद ( babari Masjid ) बनवाई थी। जिसे बाद में तोड़ दिया गया। चूंकि वह स्थान मस्जिद के रूप में था इसलिए उस स्थान को मुस्लिम समुदाय को दिया जाना चाहिए।
गोपाल सिंह विशारद
मामले में चौथा पक्षकार हैं गोपाल सिंह विशारद। इनका निधन हो गया है। अब उनके बेटे राजेंद्र सिंह इस केस देख रहे हैं।
10 अन्य पक्षकार भी
इन प्रमुख दावेदारों के अलावा 10 अन्य पक्ष्कार भी हैं। ये हैं हिंदू महासभा,( Hindu Mahasabha ) श्री राम जन्मभूमि सेवा समिति,( Shri Ram Janm Bhoomi Sewa Samiti ) श्री राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति,( Shri Ram Janm Bhoomi Punruddhar Samiti ) जमीयत ए उलेमा ए हिंद, ( Jamiyat a ulema Hind ) मोहम्मद फारुख, हाशिम अंसारी, ( Hashim Ansari ) मोहम्मद महफ़ूजऱ रहमान और मिस्बाउद्दीन आदि प्रमुख हैं।
32 याचिकाएं खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने इनकी याचिकाओं के अलावा सुब्रमण्यम स्वामी ( Subrmanyam Swami ) और वसीम रिजवी ( Waseem Rizavi ) समेत कुल 32 याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इनमें अपर्णा सेन, श्याम बेनेगल और तीस्ता सीतलवाड़ की याचिकाएं भी शामिल थीं। कोर्ट ने इन याचिकाओं को महत्व नहीं दिया और इन पर कोई सुनवाई नहीं की।
हिंदू पक्ष की अपीलें हिेदू पक्षकारों के ही खिलाफ
मंदिर-मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर हैं। इनमें 8 याचिकाएं मुस्लिम पक्षकारों की और 6 हिंदू पक्षकारों की हैं। दोनों समुदायों की ओर से 6-6 पक्षकार इस मामले में पैरवी कर रहे हैं। मुकदमें की ख़ास बात यह है कि विवादित स्थल पर मंदिर ( Ram Mandir ) और मस्जिद ( babari Masjid ) का दावा कर रहे दोनों समुदायों में मुस्लिम पक्ष से दायर सभी अपीलें हिन्दू पक्ष और मंदिर के खिलाफ हैं। जबकि, हिन्दू पक्ष से दायर ज्यादातर अपीलें हिन्दू पक्षकारों के ही खिलाफ हैं।