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मुस्लिम पक्षकारों का दावा हमारे पास मौजूद हैं बाबरी मस्जिद होने के अहम् दस्तावेज और सबूत विवादित जमीन हमारी है। वह बाबर द्वारा बाबरी मस्जिद के निर्माण के दस्तावेज और सबूत दिखाने का दावा कर रहा है। मुस्लिम समुदाय ने अपील में यह भी कहा है कि पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कोई निष्कर्ष नहीं निकला कि वहां पहले कोई मंदिर था। जिसे तोड़ कर मस्जिद बनाई गई।
निर्मोही अखाड़े का दावा सवा सौ साल से कब्जा निर्मोही अखाड़े ( Nirmohi Akhada ) ने सुन्नी वक्फ बोर्ड और विश्व हिंदू परिषद के दावे को नकारते हुए पूरे विवादित स्थान पर सवा सौ साल से कब्जे का हवाला देते हुए पूर्ण स्वामित्व का अधिकार मांगा है। निर्मोही अखाड़े का कहना है कि जिस जगह पर भगवान प्रकट हुए और हाईकोर्ट ने भी मान लिया कि राम की जन्मभूमि ( Ram Janm Bhoomi ) है। इसलिए राम की जन्मभूमि पर रामलला विराजमान रहेंगे। इस स्थिति में संपूर्ण भाग पर निर्मोही अखाड़े का अधिकार है। निर्मोही अखाड़े का कहना है विवादित ढांचे के तीनों तरफ पहले से उसका कब्जा है। दिसंबर 1949 में जो मूर्ति मस्जिद के बीच वाले गुंबद के अंदर प्रकट हुई वह भी उनके अधीन राम चबूतरे से उठकर वहां लगाई गई थी। इसलिए वह पूरी जमीन और वह स्थान उनका है।
आये दिन शहर में हो रहे सड़क हादसों की वजह बन रहे अप्रशिक्षित और नाबालिग चालक रोज़ लगा देते हैं सड़क जाम भगवान की संपत्ति पर भगवान का अधिकार भगवान की प्रतिमा स्वयं में एक व्यक्ति की तरह संपत्ति की मालिक होती है। इस लिहाज से विराजमान रामलला भगवान की ओर से विश्व हिंदू परिषद ( Vishva Hindu Parishad ) द्वारा उस स्थान पर स्वामित्व का दावा किया जा रहा है। विश्व हिंदू परिषद ने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court Hearing On Ram Mandir ) में अपील में विवादित स्थल के तीन हिस्से में बंटवारे का विरोध किया था और कहा था कि भगवान रामलला विराजमान की भूमि को हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) ने राम जन्मभूमि मान लिया है। जन्म भूमि स्थान को अपने आप में देवत्व का दर्जा प्राप्त है। ऐसी स्थिति में देवत्व प्राप्त पवित्र स्थान का बंटवारा कैसे हो सकता है। बंटवारा का संपत्ति का तो हो सकता है लेकिन भगवान का नहीं। इस तरह से यह स्पष्ट होता है कि दोनों प्रमुख हिन्दू पक्षकार निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान स्वयं एक दूसरे के दावे को चुनौती दे रहे हैं।
ये भी पढ़ें – दर्दनाक : हत्या और हादसे के सवाल में उलझी पुलिस,युवती का चेहरा क्षत विक्षत,कपड़ों से शहरी इलाके की लग रही है युवती 69 सालों से विवाद अयोध्या में राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद का विवाद लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पिछले 69 वर्ष से चल रहा है। अयोध्या मामले में कुल 19 हजार दस्तावेज हैं। इन तमाम दस्तावेजों को इंग्लिश में ट्रांसलेट किया गया है। इसके साथ ही अदालती बहस की कॉपी (प्लीडिंग) पेश की गई है। इन्हीं दस्तावेजों में मामले का पूरा लेखा जोखा है।
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अभी तक इस मामले में 90 हजार पन्नों में गवाहियां पूरी की गयीं हैं। यह सभी अलग-अलग भाषाओं में हैं। जिनमें पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित कई अन्य भाषाएं शामिल हैं। इन्हें अंग्रेजी में अनुवाद कर कोर्ट में पेश किया गया है। निचली अदालत से इस मुकदमे के फैसले के खिलाफ अब सर्वोच्च न्यायालय ( Supreme Court ) में नियमित रूप से इस मुकदमे की सुनवाई जारी है।