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विश्व की सबसे बड़ी भगवान श्रीराम की 220 मीटर की प्रतिमा सरयू किनारे लगनी है। जिसको लेकर जिला प्रशासन जमीन अधिग्रहण कर रहा है। लेकिन जहां पर प्रतिमा लगनी है वहां पर रामघाट के निवासियों की जमीन है। रामघाट के लोग जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि अगर जमीन ही लेना है तो सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा और पुनर्वास के लिए अलग से जमीन दी जाए जिसके लिए प्रशासन मानने को तैयार नहीं है। आज 100 से अधिक महिला व पुरुषों ने जिलाधिकारी अनुज झा से मुलाकात की और अपनी 12 सूत्रीय मांग रखी। उनका कहना है कि पहले तो जमीन का अधिग्रहण न किया जाए अगर अधिग्रहण करती हैं तो उनकी मांगे मानी जाए | रामघाट के निवासियों की मांग है कि जमीन मालिकों को सर्किल रेट की दर से 4 गुना 4 गुना मुआवजा दिया जाए और पुनर्वास के लिए उन्हें अलग से जमीन उपलब्ध कराई जाए | यही नहीं मकान का मूल्यांकन पीडब्ल्यूडी की प्रथम सीढ़ी की दर से 2 गुना मुआवजा दिया जाए यही नहीं पीड़ित परिवार के एक सदस्य को भगवान श्री राम की प्रतिमा से जुड़े हुए ड्रीम प्रोजेक्ट में योगदान अनुसार नौकरी भी दी जाए |
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राम घाट के निवासियों कहना है उन्हें भगवान प्रतिमा का कोई विरोध नहीं है लेकिन भगवान को बसाने से पहले भक्तों को बसाया जाए | जब भक्त ही नहीं रहेंगे तो भगवान यहां के क्या करेंगे ,इसलिए पहले भक्तों को बसाया जाए। वहीँ इन सभी मामलों पर जिलाधिकारी अनुज झा कुछ भी बोलने से मना कर दिया।अयोध्या में सरयू किनारे भगवान श्रीराम की 221 मीटर ऊंची मूर्ति लगाने के लिए 200 करोड़ का बजट प्रस्ताव कर दिया है। प्रस्तावित मूर्ति की स्थापना के लिए करीब 222 लोगों की 265 गाटा संख्या से 28.2864 हेक्टेयर भूमि क्रय की जानी है। सर्किल रेट के हिसाब से जमीन की कीमत 38 करोड़ 6 लाख आंकी गई है, लेकिन नियमानुसार ग्रामीण क्षेत्र की भूमि का मुआवजा सर्किल रेट से चार गुना और शहरी क्षेत्र की भूमि का मुआवजा सर्किल रेट से दोगुना देने की व्यवस्था है। स्थानीय ग्रामीण सरकार की मुआबजे से संतुष्ट नहीं है और वह अब जिलाधिकारी अयोध्या से मिलकर अपनी बात रखने वाले हैं। दरअसल भगवान श्रीराम की मूर्ति के लिए अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू होनी है। कुल 28.2864 हेक्टयर भूमि अधिग्रहीत की जानी है।